मधुमेह के 95 फीसदी मरीज टाइप 2 से ग्रस्त हैं। पहले यह बीमारी 45 से 50 वर्ष की आयु में पाई जाती थी, लेकिन अब यह 20 से 30 वर्ष की आयु में ही हो रही है। बच्चे भी ग्रस्त हैं। प्रीडायबिटीज में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ा होता है, लेकिन इतना ज्यादा नहीं कि उसे टाइप 2 मधुमेह माना जाए। प्रीडायबिटिक लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है।
-प्रीडायबिटिक लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत
-बदलती जीवनशैली, शारीरिक गतिविधियों की कमी, तनाव, अनिद्रा, खानपान में बदलाव प्रमुख कारण
निखिल कुमार
Karnataka में अब 16 फीसदी से अधिक आबादी मधुमेह (डायबिटीज) से ग्रस्त है। मरीजों में करीब 12 फीसदी वयस्क हैं। इनके अलावा लाखों प्रीडायबिटिक prediabetic मामले हैं। कुल मिलाकर मधुमेह मरीजों की संख्या कई लाख से अधिक हो सकती है। शहर तो शहर मधुमेह ग्रामीण परिवेश के लोगों को भी तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अनिद्रा, जरूरत से ज्यादा तनाव, बदलती जीवनशैली, शारीरिक गतिविधियों की कमी और भोजन की आदतों में बदलाव इस चिंताजनक स्थिति के प्रमुख कारण हैं।
अंतरराष्ट्रीय डायबिटीज फेडरेशन International Diabetes Federation के एक अनुमान के अनुसार निम्न और मध्यम आयवर्ग वाले देशों के लगभग 80 फीसदी युवाओं के खाने-पीने की आदतों में बदलाव हो रहा है।
तीसरी सबसे बड़ी संख्या
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत गैर-संचारी बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपी-एनसीडी) के अंतर्गत 2,37,00,475 लोगों की जांच की गई, जिनमें से 28,83,541 व्यक्ति मधुमेह Diabetes से पीड़ित पाए गए। देश में महाराष्ट्र और केरल के बाद यह तीसरी सबसे बड़ी संख्या है।
जांच सुनिश्चित करने के निर्देश
राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, एनपी-एनसीडी परियोजना 2017 से चल रही है और 30 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों की जांच की जा रही है। इसके तहत 30 वर्ष से अधिक उम्र के हर व्यक्ति की सात जीवनशैली-संबंधी बीमारियों (जैसे कैंसर, डायबिटीज, हाईपरटेंशन आदि) के लिए जांच की जाती है। सरकारी चिकित्सकों को सभी वयस्कों की जांच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
95 फीसदी मरीज टाइप 2 से ग्रस्त
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एच. बसवनगौडप्पा ने बताया कि मधुमेह के 95 फीसदी मरीज टाइप 2 से ग्रस्त हैं। पहले यह बीमारी 45 से 50 वर्ष की आयु में पाई जाती थी, लेकिन अब यह 20 से 30 वर्ष की आयु में ही हो रही है। बच्चे भी ग्रस्त हैं। प्रीडायबिटीज में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ा होता है, लेकिन इतना ज्यादा नहीं कि उसे टाइप 2 मधुमेह माना जाए। प्रीडायबिटिक लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है।
जेनेटिक कारण
अगर परिवार में किसी सदस्य को टाइप 2 मधुमेह है, तो अन्य सदस्यों में भी इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर इस खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
निदान में देरी चिंताजनक
कुछ विशेषज्ञों के अनुसार अनुमानत: मधुमेह के 50 फीसदी मामलों का निदान या तो देरी से होता है या फिर नहीं होता है। ऐसे में यह स्थिति और भी चिंताजनक है। मधुमेह की शीघ्र पहचान करने से लोगों को मधुमेह से जुड़ी हृदय, गुर्दे और आंखों की बीमारियों से बचने में मदद मिलेगी। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडूराव ने मधुमेह सहित कुल 14 गैर संचारी बीमारियों के निदान व उपचार के लिए गृह आरोग्य योजना चलाई है।
इन लक्षणों को हल्के में न लें
- अधिक प्यास लगना
- जल्दी-जल्दी पेशाब आना, विशेषकर रात में- अधिक भूख लगना
- हर समय थकान- खानपान ठीक होने के बाद भी वजन घटना
-धुंधला दिखाई देना-घाव का देर से भरना
-खुजली और रूखी त्वचा-हाथ-पैर में झुनझुनी या सुन्नपन
-मुंह में अक्सर छाले होना
मधुमेह से बचाव
- ज्यादा चीनी, सैचुरेटेड और प्रोसेस्ड फूड्स से परहेज करें
- रोजाना 30-45 मिनट की तेज चलें, नियमित व्यायाम करें- सोने का एक निश्चित समय तय करें, भरपूर नींद लें
- तनाव कम करने के लिए योग, प्राणायाम या ध्यान को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं- हर दिन संतुलित और फाइबरयुक्त आहार लें। सब्जियां, फल, फलियां, और साबुत अनाज शामिल करें
-वजन नियंत्रित रखें-शराब व धूम्रपान से बचें
- लक्षण दिखे तो जांच कराएं