बैंगलोर

रंग ला रही निम्हांस की उषास पहल, आत्महत्या दर घटाने के प्रयासों में मदद

आत्म-क्षति का प्रयास करने वाले 10 फीसदी से ज्यादा व्यक्ति आत्महत्या कर सकते हैं, इसलिए उन्हें सहायता प्रदान करना महत्वपूर्ण है।

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Sep 12, 2025

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य व तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निम्हांस) ने बुधवार को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस World Suicide Prevention Day और एन-स्प्राइट (निम्हांस आत्महत्या रोकथाम, अनुसंधान, कार्यान्वयन प्रशिक्षण और सहभागिता केंद्र) की पहली वर्षगांठ मनाई। इस अवसर पर विशेषज्ञों ने बताया कि निम्हांस विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से आत्महत्या दर घटाने के प्रयासों में लगा है। काफी हद तक सफलता भी मिली है।

बेंगलूरु तीसरे स्थान पर

एन-स्प्राइट वर्तमान में कर्नाटक सरकार के सहयोग से आत्महत्या Suicide रोकथाम के लिए कई परियोजनाएं चला रहा है। कर्नाटक की आत्महत्या दर 20.2 फीसदी है। यह राष्ट्रीय औसत 12.4 फीसदी से कहीं अधिक है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के 2022 के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में प्रतिवर्ष 13,606 आत्महत्याएं दर्ज की जाती हैं। देश के महानगरों में, आत्महत्या के मामले में भी बेंगलूरु तीसरे स्थान पर है।

सहायता व हस्तक्षेप महत्वपूर्ण

निम्हांस NIMHANS की निदेशक डॉ. प्रतिमा मूर्ति ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, कर्नाटक सरकार के सहयोग से एन-स्प्राइट के अंतर्गत चल रही उषास (शहरी आत्म-क्षति अध्ययन) परियोजना, ने आत्म-क्षति के प्रयास के बाद सरकारी अस्पतालों में भर्ती होने वाले व्यक्तियों में पुन: प्रयास की दर को काफी हद तक कम किया है। आत्म-क्षति का प्रयास करने वाले 10 फीसदी से ज्यादा व्यक्ति आत्महत्या कर सकते हैं, इसलिए उन्हें सहायता प्रदान करना महत्वपूर्ण है।

11 जिलों के 16 सरकारी अस्पतालों में लागू

एन-स्प्राइट के प्रमुख डॉ. अनीश वी. चेरियन ने बताया कि वर्ष 2022 से राज्य के 11 जिलों के 16 सरकारी अस्पतालों में उषास परियोजना लागू है। आत्महत्या पुन: प्रयास की दर घटकर 1.19 फीसदी और मृत्यु दर घटकर 0.2 फीसदी पहुंची है।शराब, निकोटीन या अन्य पदार्थ

अब तक, आत्म-क्षति का प्रयास करने वाले 20,861 लोगों को उषास के अंतर्गत आत्म-क्षति रजिस्ट्री में शामिल किया गया है। इनमें से अधिकांश 25-39 आयु वर्ग (44.37 फीसदी) के हैं। 28.87 फीसदी लोग 18-24 आयु वर्ग के हंै। इनमें 55.76 फीसदी पुरुष, 44.15 फीसदी महिलाएं और 0.09 फीसदी ट्रांसजेंडर व्यक्ति हैं। ज्यादातर मामलों में शराब, निकोटीन या अन्य पदार्थों के सेवन का इतिहास है।

महिला केंद्रित मुद्दे प्रमुख

डॉ. चेरियन ने बताया कि 20,861 व्यक्तियों में से 16,264 को सहायता प्रदान की गई। मृत्यु या फोन पर उपलब्ध न हो पाने आदि कारणों से शेष लोगों तक सहायता नहीं पहुंची। हस्तक्षेपों के परिणामस्वरूप, केवल 194 लोगों (1.19 फीसदी) ने आत्म-क्षति का पुन: प्रयास किया। सहायता प्राप्त करने वालों में से केवल 0.2 फीसदी की की पुन: प्रयास से मृत्यु हुई। उषास के निष्कर्ष बताते हैं कि युवाओं में आत्महत्या के प्रयासों के प्रमुख कारणों में महिला केंद्रित मुद्दे प्रमुख हैं। डिसमेनोरिया, प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (पीएमएस) और प्रसवोत्तर समस्याएं भी शामिल थीं।

Published on:
12 Sept 2025 07:25 pm
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