पकड़ा गया बाघ जंगल Forest के अंदर लोहे के कांटेदार फंदे में फंसा हुआ मिला था। उसकी गर्दन पर गहरा घाव मिला। फिलहाल उसे कूर्गल्ली पुनर्वास केंद्र में पशु चिकित्सकों की देखरेख में रखा गया है।
वन्यजीव विशेषज्ञों ने सरगूर क्षेत्र में पकड़े गए बाघ Tiger को लेकर कई सवाल उठाए हैं। इस बाघ को सात नवंबर को हेग्गुदिलु गांव के किसान चौडैया नाईक पर हमला कर उसकी जान लेने वाले बाघ के रूप में पेश करने के लिए वन विभाग की निंदा की है।
वन्यजीव कार्यकर्ता व राज्य वन्यजीव बोर्ड के पूर्व सदस्य जोसेफ हूवर ने मंगलवार को दावा किया कि पकड़ा गया बाघ वास्तव में वो नहीं है, जिसने नाईक का शिकार किया था। पकड़ा गया बाघ जंगल Forest के अंदर लोहे के कांटेदार फंदे में फंसा हुआ मिला था। उसकी गर्दन पर गहरा घाव मिला। फिलहाल उसे कूर्गल्ली पुनर्वास केंद्र में पशु चिकित्सकों की देखरेख में रखा गया है।
हेग्गुदिलु गांव के पास 10 नवंबर को एक गाय को मारकर आंशिक रूप से खाने वाले बाघ को अब असली बाघ माना जा रहा है। उस बाघ को पकडऩे के लिए वन विभाग के अभियान जारी हैं।उन्होंने कहा, यह अत्यंत निंदनीय है कि बिना डीएनए परीक्षण और वैज्ञानिक प्रमाण के ही बाघ को ‘संघर्ष बाघ’ घोषित कर दिया गया। इससे न केवल राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ है, बल्कि सरकार की छवि को भी नुकसान पहुंचा है।
हूवर ने आरोप लगाया कि वन विभाग के अधिकारियों, विशेष रूप से वन संरक्षक एस. प्रभाकरन की लापरवाही और अयोग्यता के कारण हेडीयाल उपखंड, बंडीपुर टाइगर रिजर्व में तीन किसानों की मौत और छह बाघों का विस्थापन हुआ है।वन्यजीव संरक्षण समुदाय ने इस पूरे घटनाक्रम को वन विभाग की नाकामी बताया है और एनटीसीए की चुप्पी पर भी सवाल उठाया है।