यात्रा के बाद संक्रमण के मामले अधिक सामने आ रहे हैं। स्थान, मौसम और पानी के स्रोत में बदलाव के कारण फ्लू और श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों में
मौसम में लगातार हो रहे बदलाव के कारण कर्नाटक में मौसमी फ्लू, श्वसन संक्रमण और वायरल बुखार के मामलों में तेजी देखी जा रही है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह देते हुए कहा है कि जनवरी से मार्च के बीच फ्लू के मामलों में और बढ़ोतरी हो सकती है। विभाग ने भीड़भाड़ वाले स्थानों पर मास्क पहनने, हाथों की स्वच्छता बनाए रखने और लक्षण गंभीर होने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेने की अपील की है।
चिकित्सकों के अनुसार, मौजूदा मौसम वायरस, बैक्टीरिया Viruses, bacteria और अन्य रोगाणुओं के पनपने के लिए अनुकूल बन गया है। प्रमुख सरकारी और निजी अस्पतालों में रोजाना 50 से 60 मरीज ऊपरी और निचले श्वसन तंत्र के संक्रमण, वायरल बुखार और संबंधित बीमारियों के साथ पहुंच रहे हैं। इनमें गले में खराश, बुखार, नाक बहना, खांसी, एलर्जिक ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और मध्य कान के संक्रमण की शिकायतें आम हैं।
चिकित्सकों ने बताया कि कुछ मरीजों में बुखार और खांसी के साथ घरघराहट, सांस लेने में तकलीफ और अस्थमा व ब्रोंकाइटिस जैसी पुरानी बीमारियों के बिगड़ने के लक्षण भी सामने आ रहे हैं।
डॉ. वृंदा के अनुसार, यात्रा के बाद संक्रमण के मामले अधिक सामने आ रहे हैं। स्थान, मौसम और पानी के स्रोत में बदलाव के कारण फ्लू और श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों में।
एक निजी अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. सचिन कुमार ने बताया कि पिछले दो हफ्तों में इन्फ्लुएंजा जैसे लक्षणों वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है। अस्पताल में आने वाले करीब 40 फीसदी मरीजों में नाक बहना, खांसी और जुकाम जैसे ऊपरी श्वसन संक्रमण के लक्षण पाए गए हैं। इस दौरान एक-दो निमोनिया के मामले भी सामने आए, जिनमें अस्पताल में भर्ती की जरूरत पड़ी।
स्वास्थ्य विभाग ने जिला अधिकारियों को इन्फ्लुएंजा जैसे लक्षण (आइएलआइ) और गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण (एसएआरआइ) की निगरानी मजबूत करने के निर्देश दिए हैं। आइएलआइ के 5 फीसदी और एसएआरआइ के सभी मामलों की इन्फ्लुएंजा जांच अनिवार्य होगी। इसके लिए बेंगलूरु मेडिकल कॉलेज और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान समेत कुल नौ प्रयोगशालाएं चिन्हित की गई हैं।
विभाग ने ओसेल्टामिविर जैसी एंटीवायरल दवाओं, पीपीई किट, एन95 मास्क और वेंटिलेटर का पर्याप्त स्टॉक सुनिश्चित करने को कहा है। साथ ही स्वास्थ्यकर्मियों, शिशुओं, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं जैसे संवेदनशील समूहों के लिए टीकाकरण को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए हैं।
मौसमी इन्फ्लुएंजा एक वायरल संक्रमण है, जो संक्रमित व्यक्ति की सांस की बूंदों या दूषित सतहों के संपर्क से फैलता है। यह आमतौर पर पांच से सात दिनों तक रहता है। इसके लक्षणों में बुखार, खांसी, जुकाम, गले में खराश, थकान और भूख न लगना शामिल हैं।