Accidental Killing Shock: बाराबंकी की शिक्षिका शिवानी वर्मा की हत्या का पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। असल टारगेट कोई और थी, लेकिन लाल स्कूटी के कारण हुई पहचान की गलती ने मासूम शिवानी की जान ले ली। बिहार पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दो शूटरों और सुपारी देने वाली हुस्न आरा को गिरफ्तार कर लिया।
Crime News Shivani Verma Murder: बाराबंकी की युवा शिक्षिका शिवानी वर्मा की हत्या ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया था। हैदरगढ़ की रहने वाली शिवानी अपनी ड्यूटी खत्म कर रोज की तरह घर लौट रही थीं, जब अज्ञात हमलावरों ने उन्हें गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया। शुरुआत में यह मामला लूट या आपसी दुश्मनी का प्रतीत हुआ, लेकिन बिहार के अररिया जिले की पुलिस ने जिस तरह तेज़ी से जांच की और हत्याकांड का पर्दाफाश किया, उसने पूरे घटनाक्रम को एक खौफनाक मोड़ पर ला खड़ा किया।
अररिया जिले के एसपी अंजनी कुमार के नेतृत्व में पुलिस ने मात्र चंद दिनों में सीसीटीवी फुटेज, इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और इंटेलिजेंस इनपुट के आधार पर उन दो शूटर्स को गिरफ्तार कर लिया, जिन्होंने यह हत्या अंजाम दी थी। साथ ही उस महिला को भी पकड़ लिया गया, जिसने अपनी सौतन को मरवाने के लिए तीन लाख रुपये में यह सुपारी दी थी। लेकिन नियति के खेल ने निर्दोष शिवानी वर्मा की जान ले ली, सिर्फ इसलिए क्योंकि वे उस दिन एक लाल स्कूटी पर सफर कर रही थीं, जो बिल्कुल वैसी ही थी जैसी असली टारगेट इस्तेमाल करती थी।
पुलिस जांच में बड़ा तथ्य यह सामने आया कि हत्या की असली साजिश बाराबंकी की नहीं, बल्कि बिहार के अररिया जिले में पनपी थी। वहीं की रहने वाली हुस्न आरा, जिसने अपने शौहर के अवैध संबंधों से आक्रोशित होकर अपनी सौतन को रास्ते से हटाने का फैसला लिया। सौतन भी पास के ही एक स्कूल में शिक्षिका थी और रोजाना एक लाल रंग की स्कूटी पर उसी रास्ते से गुजरती थी।
हुस्न आरा ने फर्सीबागंज में रहने वाले दो युवकों, मोहम्मद मारूफ और मोहम्मद सुहैल, को यह काम सौंपा। दोनों को हत्या के बदले तीन लाख रुपये देने की बात तय हुई। योजना बिल्कुल साफ थी,महिला रोज उसी रूट पर आती है, पहचानना आसान है और भाग निकलना भी। लेकिन हत्यारे यह भूल गए कि संयोग हमेशा अपराधियों का साथ नहीं देता। जिस दिन ये दोनों शूटर बाराबंकी पहुंचे, उसी दिन शिवानी वर्मा भी अपनी लाल स्कूटी पर उसी रूट से गुज़र रहीं थीं। दूरी से देखकर हत्यारों को लगा कि यही उनका टारगेट है। बिना किसी पुष्टि के गोली चला दी गई और मासूम शिवानी की मौके पर ही मौत हो गई।
जब घटना के बाद उत्तर प्रदेश से यह जानकारी बिहार पुलिस तक पहुंची कि हत्या की सुपारी अररिया जिले से जुड़ी है, तो एसपी अंजनी कुमार ने एक विशेष टीम गठित की। टीम ने घटनास्थल तक अपराधियों की मूवमेंट ट्रेस करने के लिए सीसीटीवी क्लू, कॉल डिटेल्स और सर्विलांस डेटा खंगाला। कई सीसीटीवी फुटेज में एक संदिग्ध मोटरसाइकिल दिखाई दी, जिससे पुलिस को दिशा मिली। वहीं दूसरी ओर इंटेलिजेंस इनपुट में हुस्न आरा और उसके पति के पारिवारिक विवाद की जानकारी मिली, जिसमें अवैध संबंधों की बात पहले से ज्ञात थी। इन दोनों सूत्रों को जोड़कर जैसे ही पुलिस ने दबिश दी, दोनों शूटर, मारूफ और सुहैल को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में दोनों ने पूरी साजिश कबूल की। उनके मोबाइल से हुस्न आरा द्वारा भेजे गए पैसे, कॉल रिकॉर्ड और लोकेशन भी मिल गई। इसके बाद पुलिस ने हुस्न आरा को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की, जहां उसने स्वीकार किया कि उसने अपने पति की ‘दूसरी औरत’ को खत्म करने के लिए तीन लाख रुपये में सुपारी दी थी।
शिवानी वर्मा बाराबंकी के हैदरगढ़ कस्बे की रहने वाली, शांत स्वभाव और अपने छात्रों में लोकप्रिय शिक्षिका थीं। परिवार में उनकी मौत ने कोहराम मचा दिया है। माता-पिता और रिश्तेदारों का कहना है कि शिवानी ने कभी किसी से दुश्मनी नहीं की थी, लेकिन नियति ने ऐसी राह दिखाई कि उन्हें ऐसी साजिश का शिकार बनना पड़ा जिसका उनसे कोई लेना–देना ही नहीं था। इलाके के लोग और सहकर्मी स्तब्ध हैं। जिस स्कूल में शिवानी पढ़ाती थीं, वहां सुबह की प्रार्थना सभा में दो मिनट का मौन रखा गया। छात्र भी गहरे सदमे में हैं।
अपराध की यह कहानी उन घटनाओं में से एक है, जहां हत्याकांड का असली कारण भावनात्मक उथल-पुथल और घरेलू तनाव से उपजा, लेकिन उसकी कीमत एक निर्दोष व्यक्ति को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। एसपी अंजनी कुमार ने इस मामले पर कहा कि यह बेहद संवेदनशील और जटिल मामला था। हत्या की वास्तविक वजह अपराध स्थल से सैकड़ों किलोमीटर दूर थी। लेकिन टीम ने तकनीकी और मानवीय इनपुट का सही इस्तेमाल कर पूरे नेटवर्क को बेनकाब किया और तीनों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का मानना है कि यदि इस मामले में त्वरित कार्रवाई न होती तो आरोपी बिहार से भाग सकते थे और गिरफ़्तारी मुश्किल हो जाती।
इस केस में सबसे बड़ी चुनौती थी,दो अलग-अलग राज्यों में फैली अपराध की परतों को जोड़ना। हत्या यूपी में हुई, लेकिन योजना बिहार की थी। सुपारी वहीं दी गई, लेन-देन वहीं हुआ और शूटर भी वहीं के थे। ऐसे में दोनों राज्यों के पुलिस विभागों का सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। जांच अधिकारियों का कहना है कि तकनीक का प्रयोग-सीसीटीवी, मोबाइल लोकेशन, बैंकिंग ट्रेल ने इस केस को सुलझाने में निर्णायक भूमिका निभाई।