राम जल सेतु परियोजना के तहत जिले की पार्वती नदी और कूल नदी पर महलपुर व रामगढ़ बैराज का निर्माण प्रस्तावित है। इसके लिए भूमि चिह्नित कर ली गई है। इस परियोजना के तहत पार्वती नदी के पानी को पूर्वी राजस्थान के जिलों तक पहुंचाया जाएगा
राम जल सेतु परियोजना के तहत होगा बांध का निर्माण, पार्वती नदी के पानी को पूर्वी राजस्थान के कई जिलों तक पहुंचाया जाएगा
कोयला (बारां). राज्य की पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना परिवर्तित नाम राम जल सेतु परियोजना के तहत जिले की पार्वती नदी और कूल नदी पर महलपुर व रामगढ़ बैराज का निर्माण प्रस्तावित है। इसके लिए भूमि चिह्नित कर ली गई है। इस परियोजना के तहत पार्वती नदी के पानी को पूर्वी राजस्थान के जिलों तक पहुंचाया जाएगा इस पानी का उपयोग ङ्क्षसचाई, पेयजल के साथ ही उद्योगों के लिए भी आरक्षित किया गया है।
दो चरणों में होगा बैराज का निर्माण
परियोजना में महलपुर व रामगढ़ बैराज का कार्य दो चरणों में किया जा रहा है। इसके प्रथम फेज के तहत बैराज निर्माण की डेम लाइन के निर्माण के लिए मांगरोल तहसील के नंदगावड़ी, ङ्क्षसगोला और किशनगंज तहसील के पीपल्दा कला, पीपल्दा खुर्द, फतेहपुरा, देवपुरा, दुगेर, सावतड़ी सहित कुल आठ ग्रामों की भूमि अवाप्त की गई है। इसका अवॉर्ड जारी कर मुआवजे का भुगतान कर दिया गया है।
इनको है राशि मिलने का इंतजार
दूसरे फेज में रामगढ़ व महलपुर बैराज के डूब क्षेत्र के लिए किशनगंज तहसील के देवपुरा, सावतड़ी, आमखेड़ी, बापचा, मेघपुरा, सिमलिया सोपान, मायथा, करवरी खुर्द, बोरेडा, लोलक्या, महताबपूरा, सेवनी, पीपल्दा खुर्द, कागला बंबोरी, दीगोद पार, मांगरोल तहसील के नंद गांवड़ी, भगवानपुरा, गोपालपुरा, गुदरावनी, ईश्वरपुरा, करीरिया, पगारा, झाड़वा, ङ्क्षसगोला, बारां तहसील के सायंगढ़, कोटडी सूंडा, उल्थी, मियाडा, रैबारपुरा, कोयला सहित कुल 31 ग्रामों की भूमि अवाप्त करने की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। इसका धारा 11 व 12 का राजपत्र में प्रकाशन हो चुका है। लेकिन धारा 19 के प्रकाशन की कार्यवाही नहीं होने से अवॉर्ड जारी करने और मुआवजा भुगतान का कार्य अटका हुआ है।
जल्द ही होगा सूची का प्रकाशन
ग्रामीणों ने आबादी और गैर आबादी भूमि में बने मकानों का मुआवजा और पुनर्वास राशि एकसाथ देने की मांग की है। वहीं कोयला, मियाडा, रेबारपुरा गांव के कुछ मकान भी डूब क्षेत्र में आने से मकान निर्माण कार्य रुका हुआ है। जानकारी के अनुसार पहले फेज में आबादी भूमि में बने मकानों की मुआवजा और पुनर्वास राशि दी जाएगी, इसके बाद गैर आबादी भूमि में बने मकानों का मुआवजा दिया जाएगा। ग्रामीणों ने गैर आबादी भूमि में बने मकानों का मुआवजा राशि आबादी भूमि में बने मकानों के साथ ही देने की मांग की। साथ ही जल के स्तर के संबंध में स्थिति स्पष्ट करने की भी मांग की, जिससे कि जो मकान डूब क्षेत्र में नहीं आ रहे हैं वो अपने मकानों का निर्माण कर सकें। इस बारे में ईआरसीपी परियोजना के कोटा प्रतिनिधि ने बताया कि भूमि अवाप्त का कार्य प्रक्रियाधीन है, शीघ्र ही धारा 19 का प्रकाशन जारी होने की संभावना है।
डूब क्षेत्र के लोगों ने उठाई मांग
परियोजना के अंतर्गत पार्वती नदी पर बनने वाले महलपुर बैराज के डूब क्षेत्र में आने वाली कृषि भूमि की मुआवजा राशि में देरी होने से लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। परियोजना के कार्यों की धीमी चाल होने के कारण अभी तक आर्टिकल 19 की लिस्ट तक जारी नहीं की गई है। जानकारी के अनुसार आर्टिकल 19 की लिस्ट के प्रकाशन के बाद ही मुआवजा राशि देने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि मुआवजा राशि मिले तो स्थिति स्पष्ट हो जाएगी कि कितना क्षेत्र डूब में आएगा। ग्रामीणों ने इस सरकार से इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने और मुआवजा राशि को शीघ्र दिलाने की मांग की है।