जिले में अप्रैल 21 में जिला शतरंज संघ के नवगठन के साथ इस खेल ने खासी रफ्तार पकड़ी है। शतरंज संघ के टीम वर्क ने छोटी सी समयावधि में बारां जिले का नाम प्रदेश के शीर्ष जिलों में उच्च स्थान पर पहुंचा दिया है।
राष्ट्रीय खेल दिवस आज : जिले के बच्चों के शतरंज के खेल के प्रति रुझान बढ़ा
बारां. शतरंज एक दिमागी खेल होने के साथ सामाजिक तानो-बानों और पारिवारिक मूल्यों को भी महत्व प्रदान करता है। इसकी बिसात पर प्यादों से लेकर वजीर तक की अपनी अलग अहमियत है। यह बताता है, छोटे-बड़ों को साथ लेकर एकजुटता से किए प्रयासों से किस प्रकार कामयाबी हासिल की जा सकती है। समय के साथ शतरंज के खेल के प्रति अब नजरिया बदला है, चार-छह वर्ष की उम्र के छोटे बच्चों की भी इस क्षेत्र में दमदारी से उपस्थिति दर्ज हो रही है। अभिभावक वर्ग अपने बच्चों का इस खेल में भविष्य देखने लगा है।
4 साल पहले शुरूआत
जिले में अप्रैल 21 में जिला शतरंज संघ के नवगठन के साथ इस खेल ने खासी रफ्तार पकड़ी है। शतरंज संघ के टीम वर्क ने छोटी सी समयावधि में बारां जिले का नाम प्रदेश के शीर्ष जिलों में उच्च स्थान पर पहुंचा दिया है। स्कूल-दर स्कूल इस खेल की प्रशिक्षण कार्यशालाओं से हजारों बच्चों ने इस अवधि में शतरंज खेलना सीखा। ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर भी लगाए गए। अनेक जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं के आयोजन के साथ राज्य स्तरीय टीम चैंपियनशिप और रैपिड एंड ब्लिट््ज जैसे चुनौतीपूर्ण ऑफिशियल टूर्नामेंट भी श्रेष्ठ प्रबंधन और उच्च गुणवत्ता के साथ कराए गए। इनमें ऑफिशियल टीम टूर्नामेंट प्रदेश में प्रथम बार आयोजित हुआ। इन टूर्नामेंटों में राज्य में सर्वाधिक संख्या में खिलाडिय़ों के भाग लेने का रेकॉर्ड रहा। इसकी बदौलत प्रदेश में बारां को श्रेष्ठ आयोजनों के रूप में पहचान मिलने के साथ जिले के प्रति प्रतिष्ठित नजरिया विकसित हुआ है।
शीर्ष जिलों में शुमार
बारां न सिर्फ आयोजनों बल्कि खिलाडिय़ों के आगे बढऩे में भी शीर्ष जिलों में शुमार रहा। गुजरे सालों में राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने वाले खिलाडिय़ों की सर्वाधिक संख्या के मामले में बारां जिला शतरंज में अग्रणी जयपुर और उदयपुर के साथ शीर्ष पर रहा। हाल ही में बारां जिले के अंता के सूफी अली व कवाई के परमानन्द महावर को उत्कृष्ट प्रदर्शन से अंतरराष्ट्रीय फिडे रेङ्क्षटग प्राप्त हुई। सूफी ने इसी वर्ष केवी की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में उपविजेता के बराबर अंक प्राप्त किया। निर्णायक के रूप में प्रद्युम्न गौतम ने अंतरराष्ट्रीय फिडे ऑर्बिटर, प्रदीप चौरसिया व तारिणी चौरसिया ने सीनियर नेशनल ऑर्बिटर की उपाधि प्राप्त की। इस वर्ष शिक्षक वर्ग की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में गौतम व चौरसिया उपविजेता रहे। संघ के सचिव सुनील शर्मा, संयुक्त सचिव प्रमोद गौतम ने बताया कि विगत 3 वर्षों से खिलाडिय़ों के अभ्यास के लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म पर साप्ताहिक टूर्नामेंट भी नियमित रूप से कराया जा रहा है।
शतरंज का अभ्यास नियमित दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। परिवार में कोई भी इस खेल से जुड़ा नही था तो मोबाइल एप से खेल की शुरुआत की। अब मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और प्रतियोगिताओं में भाग लेने का अनुभव आगे बढऩे में उपयोगी साबित हो रहा है।
सूफी अली, अंता, फिडे रेटेड खिलाड़ी
परिवार में शतरंज का माहौल देखा, इससे चेस के प्रति रोचकता रही। कुछ वर्षों के नियमित अभ्यास, प्रशिक्षण और प्रतियोगिताओं में भाग लेने से खेल में निखार आया।
भव्य गौतम, सब जूनियर चैंपियन
अपनी पढ़ाई के साथ शतरंज का खेल आसानी से जारी रखा जा सकता है। इस खेल से होने वाली दिमागी कसरत विद्यार्थियों के लिए फायदेमंद है। प्रशिक्षण के साथ साथ जब भी समय और मौका मिलता है, इसे जरूर खेलती हूं।
राधिका शर्मा, सब जूनियर चैंपियन गल्र्स
प्रशिक्षण से इसकी बेसिक चालों को समझा और बारीकियों को सीखा। इसमें रोचकता ही आकर्षण है। प्रतियोगिताओं में भाग लेने से आत्मविश्वास भी बढ़ा है।
चेतना यादव, सब जूनियर चैंपियन
बारां जिले में शतरंज के खेल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 4 साल पहले जिला शतरंज संघ का गठन किया गया। इसके अब अच्छे परिणाम आ रहे हैं। जिले के बच्चों और युवा का इस ओर रुझान बढ़ा है। राज्य स्तर पर भी जिले की रुतबा बढ़ा है। बहुत जल्द जिले के शतरंज खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में नजर आएंगे।
विशाल, जिला खेल अधिकारी
जटिल चुनौतियों के बीच सबसे सटीक समाधान तलाशने का खेल है। बच्चों की मानसिक योग्यताओं में अभिवृद्धि, धैर्य, रणनीति, विश्लेषण, कल्पनाशीलता, एकाग्रता, निर्णय क्षमता आदि के विकास में बेहद सहायक है। इस खेल के फायदों के कारण इसके प्रति रुझान बढ़ रहा है।
प्रद्युम्न गौतम, प्रशिक्षक, फिडे ऑर्बिटर