बारां

हम हो गए 15 लाख, इस संख्या को ताकत बनाकर मजबूती से उभरेगा बारां

उत्पादों में खादी-बिजली, पर्यटन में शेरगढ़ अभ्यारण्य किला और खेल में फुटबॉल। ये वो क्षेत्र हैं, जहां बारां पहले से मजबूत है। अब हमें खुद इन ताकतों को नई दिशा देने में जुटना चाहिए।

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Jul 11, 2025
source patrika photo

विश्व जनसंख्या दिवस : विशेष आबादी नहीं चुनौती, असल में हमारी सबसे बड़ी ताकत

बारां. आबादी नहीं चुनौती, असल में हमारी सबसे बड़ी ताकत। यहां की जनसंख्या, पांच लोक शक्तियां…जो जिले को बना सकती हैं आत्मनिर्भर बारां। हमारे अन्नपूर्णा कृषि प्रधान जिले की आबादी अब 15 लाख के पार हो चुकी है, योरप के कई देश इससे कम जनसंख्या वाले हैं। पहले यही सवाल था, देश की इतनी बड़ी आबादी का क्या करेंगे? लेकिन अब नजरिया बदल रहा है। सच्चाई भी यही है कि यह भीड़ नहीं, हमारा सबसे बड़ा संसाधन है। अगर इस जनशक्ति को जिले की पांच मूल ताकतों से जोड़ दिया जाए तो न कोई बेरोजगार रहेगा, न विकास सिर्फ फाइलों में कैद रहेगा।

सांख्यिकी विभाग के अनुसार करीब 1. 78 प्रतिशत प्रति वर्ष जनसंख्या वृद्धि होती है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की आबादी 12 लाख 22 हजार 755 है। इसके तहत वर्ष 2024 तक जिले की आबादी अनुमानित 15 लाख 68 हजार 401 है। इस बढ़ती आबादी को बोझ नहीं समझकर उन्हें संसाधन के तौर पर उपयोग लिया जाए। हमारे जिले की पंचशक्ति हैं, ’उपज में लहसुन, कृषि में खाद्यान्न। उत्पादों में खादी-बिजली, पर्यटन में शेरगढ़ अभ्यारण्य किला और खेल में फुटबॉल। ये वो क्षेत्र हैं, जहां बारां पहले से मजबूत है। अब हमें खुद इन ताकतों को नई दिशा देने में जुटना चाहिए।

लहसुन : देश-विदेश तक धाक

जिले में साढ़े सात लाख ङ्क्षक्वटल लहसुन का उत्पादन हो रहा है। ग्रेङ्क्षडग भी की जा रही है और लहसुन देश विदेश तक जा रहा है। लहसुन व्यापारी विमल बंसल कहते हैं, करीब 30 साल पहले किसान लहसुन की खेती घरेलू उपयोग के लिए ही करते थे, और सब्जीमंडी में बेचते थे। उत्पादन बढ़ा तो एमपी के नीमच आदि की मंडियों में जाने लगा। छीपाबड़ौद के बाद बारां में मंडी शुरू हुई तो देश विदेश तक जा रहा है। ग्रेडि$ग से करीब दो सौ महिलाओं को रोजगार मिल रहा है।

खेती : फसलोत्पादन में अव्वल

कृषि प्रधान जिले में कृषि संबंधित कई उत्पाद तैयार किए जा रहे है। पेड़ों से नीम और गिलोय के साबून, वनों से शहद तैयार कर रोजगार किया जा रहा है। मेलों में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं ‘राज सखी’ ब्रांड के नाम से हाटा बाजार व मेलों में स्टॉल लगाकर प्रदर्शन कर रही है। कुछ महिला स्वयं सहायता समूह वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने का काम हो रहा है। जिले में सोयाबीन, गेहूं, धान की खेती भी खूब हो रही है। प्रोसेङ्क्षसग यूनिट में कुछ लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।

खादी : नई तकनीक का उपयोग

मांगरोल कस्बे में हर रोज कई मीटर प्रसिद्ध खादी का कपड़ा तैयार कर बाजारों में बेचा जा रहा है। कस्बे के सैकड़ों लोग रोजगार से जुड़े हुए है। पहले यह हैण्डलूम पर हाथ से बुना जाता था। अब कुछ युवा जयपुर में खादी ग्रामोद्योग में प्रशिक्षण ले चुके है। वे हैंण्डलूम में तकनीक का उपयोग कर रहे। प्रधानमंत्री से सम्मानित बुजुर्ग के भाई असलम रब्बानी कहते हैं, ’अब हम खादी को प्रमुख ब्रांड की तरह कई रंग ओर डिजाइङ्क्षनग से लुक दे रहे है।

शेरगढ़ : लाल कप्तान से पहचान

शेरगढ़ किला नहीं, विकास का किला बना रहा है। पहले खंडहर हो गया था, वन्य जीव भी औझल हो रहे थे। शेफअली खान ने यहां किले पर ‘लाल कप्तान’ फिल्म बनाकर इसे देश, प्रदेश के पर्यटक मानचित्र पर पहचान दी। अब शेर, बाघ, हरिण आदि वन्यजीव और जंगल देखने पर्यटक पहुंचने लगे है। ग्रामीण कहते है, चांदखेड़ी आने वाले पर्यटक अभ्यारण घूमने और किला देखने बाते है।

फुटबॉल : तैयार हो रही नई पौध

मैदान से निकल रही है नई पहचान बारां, छबड़ा, और छीपाबड़ौद व अटरू मांगरोल के युवाओं में फुटबॉल को लेकर जबरदस्त जुनून है। कई क्लब सक्रिय हो गए है। फुटबॉल संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष निर्मल माथोडिय़ा का कहना है जिला फुटबॉल संघ की ओर से विभिन्न आयुवर्ग व श्रेणी के सैकड़ों बच्चों को प्रशिक्षण दे चुके है। कई छात्र राज्य व राष्ट्रीय प्रतियोगिता खेल चुके है। ‘फुटबॉल यहां के बच्चों के खून में है। हम सिर्फ उसे दिशा दे रहे हैं।’

Published on:
11 Jul 2025 12:43 pm
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