सरकार की मंशा लगातार किसानों के टैल तक के खेतों तक पानी पहुंचाने की है। लेकिन अधिकारी काम को आरगे बढ़ाने को तैयार नजर नहीं आ रहे है। ऐसे में साल दर साल करोड़ों रु की राशि मंजूर करने के बाद भी हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे है।
गणेशगंज लिफ्ट परियोजना की बदहाली
मांगरोल. चंबल की दायीं मुख्य नहर से पानी लिफ्ट कर बनाई गणेशगंज परियोजना की बदहाली नहीं मिट पा रही है। सरकार की मंशा लगातार किसानों के टैल तक के खेतों तक पानी पहुंचाने की है। लेकिन अधिकारी काम को आरगे बढ़ाने को तैयार नजर नहीं आ रहे है। ऐसे में साल दर साल करोड़ों रु की राशि मंजूर करने के बाद भी हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे है।
1991 में बनी योजना
वर्ष 1991 में चंबल की दायीं मुख्य नहर के पानी को लिफ्ट कर बारां व कोटा जिले के 34 गांवों के किसानों की पड़त जमीन को सरसब्ज करने के लिए बनी योजना आज तक भी अधिकारियों की हठधर्मिता की शिकार बनी हुई है। सरकार ने 2017 में 17 करोड़ खर्चे, लेकिन परियोजना की दशा नहीं सुधरी।
फिर मंजूर हुई 15 करोड़ रुपए की राशि
2023-24 में फिर बजट घोषणा में प्रदेश सरकार ने धरतीपुत्रों के लिए परियोजना के पंप हाउस की मोटरें बदलने के लिए व अन्य कार्यों के लिए 15 करोड़ मंजूर किए। लेकिन अधिकारियों ने पंप हाउस की दशा सुधारने के लिए यह राशि कम बता दी। आया हुआ पैसा यूं ही पड़ा रहा। इसके बाद फाइल जयपुर भेजने की कहकर अधिकारी पल्ला झाड़ते रहे। और साल निकल गया। किसान पानी के लिए तरसते रहे। राज्य सरकार से 2 करोड़ रु बढ़ाने की मांग की। सरकार ने 2024-25 में फिर बजट घोषणा में दो करोड़ रु मंजूर किए। लेकिन सरकार की मंशा किसानों को लाभ पहुंचाने की रही। लेकिन अधिकारी 17 करोड़ आ जाने के बाद भी कुंडली मारकर बैठे रहे। न टैंडर हुए और ना ही काम शुरु हो पाया। इस साल फिर पानी चल गया और काम धरे रह गए। पंपहाउस की क्षमता न बढऩे व नहर की मरम्मत के जरुरी काम न होने से फिर किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। टैल तक पानी पहुंचने की बात तो अब भी बेमानी ही कही जाएंगी।
यह है मामला
1991 में जब यह परियोजना शुरु हुई। तब 150 एचपी की छह मोटरें डाली थी। अधिकारी इन मोटरों की क्षमता घटाते रहे। और 120 व 125 एचपी की मोटरें लगा दी गई। परिणाम यह हुआ कि इतने बरसों में टैल तक पानी पहुंचाने में परियोजना नाकाम साबित हुई। सरकार ने पिछले साल व इस साल बजट घोषणा में पंप हाउस की मोटरें बदलने पंप हाउस की मरम्मत करने के लिए 17 करोड़ रु मंजूर कर दिए। तो अधिकारी इसका टैंडर ही समय पर जारी नहीं कर सके। इस मामले को लेकर भारतीय किसान संघ के प्रांत विपणन प्रमुख घनश्याम मीणा सुरेशङ्क्षसह रावत से भी मिले। छ मोटरों की क्षमता बढ़ाने की मांग की। लेकिन बजट कम बताकर अधिकारियों ने काम ही शुरु नहीं किया। आखिर सरकार ने अधिकारियों की मांग पर 17 करोड़ मंजूर कर दिए। लेकिन अब तक इसका टैंडर न होने व काम शुरु न होने से किसानों को जो लाभ पिछले साल मिल जाना चाहिए था। अब तक नहीं मिल सका है।
यह होना है काम
17 करोड़ रुपए की राशि से यहां के पंपहाउस की क्षमता बढ़ाने 150 एचपी की मोटरें डालने, माइनरों व पंप हाउस की दशा सुधारने के काम होने है। इस साल नहर से फसलों को पानी देना शुरु हो गया है। और अब काम नहीं हो सकता है। ऐसे में इस साल भी धरतीपुत्रों को खेती-किसानी के लिए पानी नहीं मिलेगा। हैड पर ही पानी नहीं पहुंचता। टैल पर तो हालात इस साल भी विकट ही रहने वाले है। इस बीच एक सप्ताह पहले लिफ्ट परियोजना की नहर में रिसाव की घटना भी हो चुकी है।
दो जिले, सांसद-विधायक, फिर भी नहीं बढ़ रही काम की गति
दो जिलों कोटा व बारां से जुड़ी यह परियोजना बारां झालावाड़ सांसद दुष्यंतङ्क्षसह कोटा के सांसद पीपल्दा विधानसभा के विधायक चेतन पटेल व अंता के विधायक बने प्रमोद जैन भाया के क्षेत्र में है। इसमें से दो सांसद सत्ताधारी पार्टी के है। इसके बावजूद कुछ नहीं हुआ।
गणेशगंज लिफ्ट परियोजना के पंप हाउस की मोटरें बदलने व अन्य कार्यों के टैंडर हो गए है। व कार्यादेश जारी कर दिए गए है। नहर चल गई है। ऐसे में जहां काम होने की गुंजाईश होगी। वहारं होगा। शेष कार्य नहर में पानी बंद होने के बाद होगा।
महेन्द्र कुमार मीणा, अधिशासी अभियंता, गणेशगंज लिफ्ट ङ्क्षसचाई परियोजना