मीरगंज विकासखंड के ग्राम पंचायत सुजातपुर में 3.75 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे ओवरहेड टैंक में दरारें आ गई हैं, जिससे निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। इतना ही नहीं, एक पिलर भी चटक गया है, जिससे किसी बड़े हादसे की आशंका बढ़ गई है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जल निगम के अधिकारियों ने परिसर में लोगों के आने-जाने पर रोक लगा दी है और क्षतिग्रस्त हिस्से को कपड़े से ढक दिया गया है।
बरेली। मीरगंज विकासखंड के ग्राम पंचायत सुजातपुर में 3.75 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे ओवरहेड टैंक में दरारें आ गई हैं, जिससे निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। इतना ही नहीं, एक पिलर भी चटक गया है, जिससे किसी बड़े हादसे की आशंका बढ़ गई है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जल निगम के अधिकारियों ने परिसर में लोगों के आने-जाने पर रोक लगा दी है और क्षतिग्रस्त हिस्से को कपड़े से ढक दिया गया है।
ओवरहेड टैंक का निर्माण कार्य 9 फरवरी 2023 को शुरू हुआ था। इस टैंक के माध्यम से सुजातपुर और बलूपुरा गांवों के लगभग 170 परिवारों को पानी की आपूर्ति होनी है। पाइपलाइन बिछाने के साथ टैंक का निर्माण लगभग पूरा हो चुका था। लेकिन अब इसकी मजबूती पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
शनिवार शाम को जल निगम के अधिकारी टेस्टिंग के लिए पहुंचे थे। जब उन्होंने टैंक के पास जाकर निरीक्षण किया, तो लिंटर में दरारें और एक पिलर में दरकने के निशान मिले। बताया जा रहा है कि रात में प्लास्टर का एक टुकड़ा भी गिर गया था। चौकीदार ने तुरंत इसकी सूचना जल निगम के अधिकारियों को दी।
रविवार को जल निगम के अवर अभियंता अपनी टीम के साथ गांव पहुंचे और हालात का जायजा लिया। उन्होंने ग्रामीणों को टैंक के पास जाने से मना किया और सुरक्षा के लिए परिसर के चारों ओर बैरिकेडिंग करवा दी। साथ ही दरार वाले हिस्से को पर्दे से ढक दिया गया ताकि स्थिति ज्यादा उजागर न हो सके।
बलूपुरा गांव की प्रधान सोमवती ने निर्माण कार्य में लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि काम की शुरुआत से ही अनियमितताएं बरती जा रही थीं।
पाइपलाइन बिछाने के बाद सड़कों की मरम्मत नहीं की गई।
ग्रामीणों को खराब सड़कों के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
कई लोगों को अपने घरों के सामने खुद ही सड़कें ठीक करनी पड़ीं।
वहीं, सुजातपुर के ग्राम प्रधान के पति फिरोज अहमद ने भी जल निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि अधिकारियों ने परिसर में प्रवेश रोकने के लिए बैरिकेडिंग करवा दी है।
इतनी बड़ी रकम खर्च होने के बावजूद ओवरहेड टैंक बनने से पहले ही कमजोर हो गया, जो भ्रष्टाचार और लापरवाही को दर्शाता है। अब सवाल यह है कि
क्या संबंधित ठेकेदार और अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होगी?
क्या गुणवत्ता की जांच कर नए सिरे से निर्माण कराया जाएगा?
ग्रामीणों को कब तक इस समस्या से राहत मिलेगी?
इन सवालों के जवाब जल निगम और प्रशासन के पास हैं, लेकिन फिलहाल स्थानीय लोगों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है।