कचहरी में अधिवक्ताओं पर हुए हमले को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार को डीआईजी ऑफिस घेरने के बाद मंगलवार को भी वकीलों का गुस्सा सड़कों पर फूटा। अधिवक्ताओं ने चौकी चौराहे पर चक्का जाम कर दिया। देखते ही देखते सड़कें पूरी तरह बंद हो गईं और भारी संख्या में वकील धरने पर बैठ गए।
बरेली। कचहरी में अधिवक्ताओं पर हुए हमले को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार को डीआईजी ऑफिस घेरने के बाद मंगलवार को भी वकीलों का गुस्सा सड़कों पर फूटा। अधिवक्ताओं ने चौकी चौराहे पर चक्का जाम कर दिया। देखते ही देखते सड़कें पूरी तरह बंद हो गईं और भारी संख्या में वकील धरने पर बैठ गए। इसके बाद अधिवक्ता कलेक्ट्रेट तक पैदल मार्च निकालते हुए सरकार और पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते रहे।
अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि 18 नवंबर को बार एसोसिएशन की पार्किंग में हुए हमले में पुलिस ने आरोपी पर धारा 307, एससी-एसटी एक्ट जैसी गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की, लेकिन इसके बावजूद उसे 151 सीआरपीसी में चालान कर दिया गया। इस ‘हल्की कार्रवाई’ पर अधिवक्ता भड़क उठे। शुक्रवार को हुए डीआईजी ऑफिस घेराव में वकीलों ने मामले की विवेचना ट्रांसफर करने की मांग रखी थी। डीआईजी अजय कुमार साहनी के आश्वासन पर प्रदर्शन तो समाप्त हुआ, लेकिन वकीलों ने साफ चेतावनी दी कि यदि कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो वे फिर सड़क पर उतरेंगे और वही हुआ।
बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बताया कि पुलिस की लापरवाही और अधिवक्ताओं के साथ किए गए अमानवीय बर्ताव से वकीलों में भारी आक्रोश है। अधिवक्ताओं ने एसपी सिटी का भी घेराव कर नाराजगी जताई। मनोज कुमार हरित, दीपक पांडे, रोहित यादव, नसीम सैफी, सोमेंद्र यादव, अमरदीप सक्सेना, मोबिन अंसारी, चमन आरा और अब्दुल इमरान सहित बड़ी संख्या में वकील विरोध प्रदर्शन में शामिल रहे।
इधर घटना के मूल विवाद में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाकर मुकदमे दर्ज कराए हैं। अधिवक्ता शकील हुसैन ने प्रगतिनगर निवासी आशीष सिंह और उसके साथियों पर लोहे की रॉड से जानलेवा हमला करने का आरोप लगाया है। वहीं दूसरी ओर, आशीष ने भी तहरीर देकर आरोप लगाया कि उसके दोस्त से गलती से बाइक का इंडिकेटर टूट गया था, माफी भी मांगी, लेकिन अधिवक्ता शकील ने साथियों के साथ मिलकर मारपीट कर दी और जान से मारने की धमकी दी।