बरेली

नवाबगंज में किसानों ने जलाई गन्ने की होली, गन्ना मंत्री का पुतला फूंका, दो साल से 70 करोड़ का नहीं हुआ भुगतान

दो साल से गन्ना भुगतान न मिलने से आक्रोशित किसानों का सब्र मंगलवार को नवाबगंज तहसील में टूट गया, जहां सैकड़ों किसानों ने उग्र प्रदर्शन करते हुए गन्ना मंत्री का पुतला फूंका। आठ दिन से चल रहा धरना पैनी नजर संस्था की अगुवाई में आर-पार की लड़ाई में बदल गया।

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Dec 16, 2025

बरेली। ओसवाल शुगर मिल से दो वर्षों से गन्ना भुगतान न मिलने से किसानों का आक्रोश मंगलवार को फूट पड़ा। नवाबगंज तहसील परिसर किसान गुस्से का अखाड़ा बन गया। सैकड़ों किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में गन्ना भरकर तहसील पहुंचे और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। आक्रोश इस कदर बढ़ा कि किसानों ने गन्ना मंत्री का पुतला फूंककर अपना गुस्सा जाहिर किया।

किसानों का आरोप है कि ओसवाल ओवरसीज लिमिटेड पर करीब 70 करोड़ रुपये से अधिक का गन्ना भुगतान बकाया है। दो साल बीत जाने के बाद भी किसानों को उनकी मेहनत की कमाई नहीं मिली। कर्ज, बच्चों की पढ़ाई और रोजमर्रा का खर्च किसानों के लिए भारी पड़ गया है।

आठ दिन का धरना बना उग्र आंदोलन

पैनी नजर सामाजिक संस्था की अध्यक्ष एडवोकेट सुनीता गंगवार के नेतृत्व में किसान पिछले आठ दिनों से तहसील परिसर में धरने पर बैठे थे। मंगलवार को सब्र टूट गया। सुबह से ही दर्जनों गांवों के किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में गन्ना लादकर तहसील पहुंचे। भुगतान दो, नहीं तो आंदोलन लो, किसान का पैसा वापस करो के नारों से पूरा इलाका गूंज उठा।

पुतला फूंका, अफसरों में मची अफरा-तफरी

किसानों ने तहसील परिसर में गन्ना मंत्री का पुतला फूंका। धुएं और नारों के बीच माहौल तनावपूर्ण हो गया। हालात बिगड़ते देख तहसील में मौजूद अधिकारी अपने-अपने कार्यालय छोड़कर बाहर निकलते नजर आए, जिससे किसानों का गुस्सा और भड़क उठा। एडवोकेट सुनीता गंगवार ने तीखे शब्दों में कहा कि किसान मजबूरी में सड़क पर है। जब दो साल की मेहनत का पैसा नहीं मिलता, तो विरोध ही आखिरी रास्ता बचता है। यदि जल्द भुगतान नहीं हुआ तो आंदोलन तहसील तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सड़कों पर और तेज होगा।

नेताओं पर भी फूटा गुस्सा

प्रदर्शन के दौरान किसानों ने जनप्रतिनिधियों पर भी जमकर निशाना साधा। उनका कहना था कि चुनाव के समय किसान याद आते हैं, लेकिन संकट के समय कोई साथ नहीं देता। किसानों ने दो टूक चेतावनी दी कि जब तक गन्ना भुगतान का एक-एक रुपया नहीं मिलता, तब तक धरना और आंदोलन जारी रहेगा। नवाबगंज में किसानों का यह उग्र तेवर प्रशासन और सरकार के लिए खतरे की घंटी बन गया है।

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