नगर निगम में आउटसोर्सिंग पर नियुक्त कंप्यूटर ऑपरेटरों की जांच में पांच ऑपरेटर फेल हो गए। उनकी सेवाएं समाप्त की जा रही है। शुरुआत में 30 से अधिक ऑपरेटर अयोग्य बताए गए थे। जांच के नाम पर लीपापोती के आरोप हैं।
बरेली। नगर निगम में आउटसोर्सिंग पर नियुक्त कंप्यूटर ऑपरेटरों की जांच में पांच ऑपरेटर फेल हो गए। उनकी सेवाएं समाप्त की जा रही है। शुरुआत में 30 से अधिक ऑपरेटर अयोग्य बताए गए थे। जांच के नाम पर लीपापोती के आरोप हैं। इसकी वजह से ही कुछ आयोग्य कंप्यूटर ऑपरेटर अपनी नौकरी बचाने में कामयाब हो गए।
नगर निगम ने दो साल पहले इग्नाइटेड सॉफ्ट नामक फर्म के माध्यम से 51 कंप्यूटर ऑपरेटरों की नियुक्ति की थी। इन्हें टैक्स, निर्माण, लेखा, जलकल, स्वास्थ्य विभाग, मेयर और नगर आयुक्त के कार्यालयों में तैनात किया गया था। लंबे समय तक काम करने के बावजूद दिसंबर 2024 में नगर निगम को यह पता चला कि अधिकांश ऑपरेटर टाइपिंग और डेटा फीडिंग में अक्षम हैं। वे गूगल की मदद से जैसे-तैसे काम कर रहे थे, जिससे नगर निगम का सामान्य कामकाज बाधित हो रहा था।
नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य ने दिसंबर 2024 में सभी ऑपरेटरों का दोबारा टेस्ट कराने का निर्देश दिया और अपर नगर आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति गठित की। हालांकि, टेस्ट होने के बावजूद परिणाम को जारी करने में एक महीने से अधिक की देरी हुई। इस दौरान आरोप लगते रहे कि कुछ ऑपरेटरों को काम सीखने का मौका दिया जा रहा था। यहां तक कि एक महिला ऑपरेटर ने डीएम से शिकायत भी दर्ज कराई।
अब जाकर जारी किए गए नतीजों में महज पांच ऑपरेटरों को अयोग्य करार दिया गया, जिनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इन सभी की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं।
नगर निगम में इन ऑपरेटरों की भर्ती 25,000 रुपये मासिक वेतन पर की गई थी। आरोप है कि तत्कालीन अधिकारियों ने सिफारिश के आधार पर अयोग्य लोगों की तैनाती कराई। यही वजह थी कि टाइपिंग और डेटा फीडिंग न आने के बावजूद ये ऑपरेटर भर्ती प्रक्रिया में न केवल टेस्ट पास कर गए, बल्कि साक्षात्कार में भी सफल हो गए। इसके बाद बिना जांच-पड़ताल के नगर निगम के महत्वपूर्ण दस्तावेज उनके सुपुर्द कर दिए गए।