सिरौली क्षेत्र में सात साल पहले विवाहिता को जिंदा जलाकर मारने वाले आरोपी पति को मंगलवार को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई। अपर सत्र न्यायाधीश (न्यायालय संख्या-तीन) विजेंद्र त्रिपाठी की अदालत ने आरोपी मुकेश को हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
बरेली। सिरौली क्षेत्र में सात साल पहले विवाहिता को जिंदा जलाकर मारने वाले आरोपी पति को मंगलवार को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई। अपर सत्र न्यायाधीश (न्यायालय संख्या-तीन) विजेंद्र त्रिपाठी की अदालत ने आरोपी मुकेश को हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना न देने पर आरोपी को एक साल और जेल में रहना होगा।
यह मामला थाना सिरौली के गांव लीलौर का है। गांव की रहने वाली बेबी ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उन्होंने अपनी बेटी मोनी की शादी उसी गांव के मुकेश से की थी। 25 मई 2018 को उन्हें खबर मिली कि मुकेश ने अपनी पत्नी मोनी को कमरे में बंद कर आग लगा दी है। जब वह ससुराल पहुंचीं तो कमरे में आग धधक रही थी, बिस्तर और सामान जल चुका था। गांव वालों की मदद से पुलिस को बुलाया गया और गंभीर हालत में मोनी को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान 10 जून को उसकी मौत हो गई।
पुलिस ने शुरू में मामला दहेज उत्पीड़न का दर्ज किया था, लेकिन मोनी की मौत के बाद इसे हत्या में तरमीम कर दिया गया। जांच के दौरान जेठानी मंजू और ननद नीलम के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले, इसलिए पुलिस ने सिर्फ पति मुकेश के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। अदालत में अभियोजन पक्ष ने आठ गवाह और 14 साक्ष्य पेश किए। वहीं, बचाव पक्ष ने यह दलील दी कि बच्चों के झगड़े में मोनी ने खुद को आग लगा ली थी, लेकिन यह बात अदालत में साबित नहीं हो सकी।
मोनी ने मरने से पहले अस्पताल में मजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान में साफ कहा था कि उसके पति ने कमरे में बंद कर उस पर मिट्टी का तेल डाला और आग लगा दी। इस बयान और सबूतों के आधार पर अदालत ने मुकेश को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई।