मिशन शक्ति 5.0 के तहत बुधवार को बरेली में कुछ घंटे के लिए बेटियां अफसर और थानाध्यक्ष बन गईं। किसी ने सीडीओ की कुर्सी संभालकर विकास योजनाओं की जानकारी ली तो किसी ने थाने में बैठकर फरियाद सुनी और रिपोर्ट दर्ज कराई।
बरेली। मिशन शक्ति 5.0 के तहत बुधवार को बरेली में कुछ घंटे के लिए बेटियां अफसर और थानाध्यक्ष बन गईं। किसी ने सीडीओ की कुर्सी संभालकर विकास योजनाओं की जानकारी ली तो किसी ने थाने में बैठकर फरियाद सुनी और रिपोर्ट दर्ज कराई। मकसद था—लड़कियों में आत्मविश्वास और जिम्मेदारी की भावना जगाना।
विकास भवन में भमोरा के सर्वोदय जनकल्याण इंटर कॉलेज की छात्रा तुवा खान और डिंपल मौर्या बुधवार को एक दिन की मुख्य विकास अधिकारी बनीं। उन्होंने बैठकों में हिस्सा लिया और योजनाओं की निगरानी की। सीडीओ देवयानी ने उन्हें बताया कि एक अफसर की कुर्सी सिर्फ ताकत नहीं, बड़ी जिम्मेदारी भी होती है। उन्होंने कहा कि पढ़ाई के साथ सेहत पर भी ध्यान दें, रोज एक घंटा व्यायाम के लिए जरूर निकालें। उन्होंने अभिभावकों से भी कहा कि असफलता से डरने की नहीं, उससे सीखने की जरूरत है। इसी तरह छात्राएं कोमल और प्रशंसा ने डीडीओ की कुर्सी संभाली और सरकारी योजनाओं के कामकाज को समझा। डीपीओ मोनिका राणा ने बताया कि मिशन शक्ति के तहत तीन महीने तक चलने वाले इस अभियान का मकसद छात्राओं को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाना है।
वहीं, प्रेमनगर थाने में अनोखा नजारा देखने को मिला। जीआरएम स्कूल की इंटरमीडिएट छात्रा अंशिता तिवारी को तीन घंटे के लिए थानाध्यक्ष बनाया गया। अंशिता ने थाने पहुंचते ही जनसुनवाई केंद्र, महिला हेल्प डेस्क, हवालात और सीसीटीएनएस कार्यालय का निरीक्षण किया। इसके बाद पुलिस टीम के साथ इलाके में गश्त भी की। थानाध्यक्ष बनी अंशिता के सामने तभी हजियापुर की कशिश अपनी कहानी लेकर पहुंची। उसने बताया कि शादी के बाद ससुराल वालों ने दहेज के लिए उत्पीड़न किया और घर से निकाल दिया। उसकी व्यथा सुन अंशिता ने तत्काल एसआई आरती चौधरी को रिपोर्ट दर्ज करने के निर्देश दिए।
मिशन शक्ति के तहत अफसर और थानाध्यक्ष बनी इन बेटियों ने कुर्सी पर बैठकर महसूस किया कि जिम्मेदारी कितनी बड़ी चीज होती है। कुछ घंटों की यह पहल उनके जीवन में नया आत्मविश्वास और हौसला भर गई।