नगर निगम के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनकैप) के तहत पांच करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली सिटी स्टेशन–किला पुल सीसी रोड एक बार फिर कार्यालयी खेल और विभागीय असंगति की भेंट चढ़ गई है। सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि जब नगर निगम ने बजट जारी ही नहीं किया था, तो पीडब्ल्यूडी ने टेंडर निकाला क्यों?
बरेली। नगर निगम के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनकैप) के तहत पांच करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली सिटी स्टेशन–किला पुल सीसी रोड एक बार फिर कार्यालयी खेल और विभागीय असंगति की भेंट चढ़ गई है। सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि जब नगर निगम ने बजट जारी ही नहीं किया था, तो पीडब्ल्यूडी ने टेंडर निकाला क्यों? और अगर टेंडर निकाला तो तकनीकी बिड में सात योग्य फर्में मिलने के 24 घंटे बाद ही उसे निरस्त करने की क्या मजबूरी थी?
पीडब्ल्यूडी की नीयत और टेंडर प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ठेकेदारों में आक्रोश है कि कहीं अपने चहेते ठेकेदार को फायदा पहुँचाने के लिए यह खेल तो नहीं रचा गया।
चौपुला पुल से किला पुल तक करीब 1.5 किलोमीटर लंबी यह सड़क लखनऊ, दिल्ली और बदायूं यात्रियों का मुख्य मार्ग है। सड़क इतने बुरी तरह उखड़ी हुई है कि वाहनों की रफ्तार आधी हो जाती है। ट्रैफिक जाम लगता है। अधिकारी व जनप्रतिनिधि भी यहाँ रोज़ गुजरते हैं। फिर भी निर्माण लगातार टलता रहा
पीडब्ल्यूडी के प्रांतीय खंड ने 4.50 करोड़ रुपये का टेंडर निकाला था। 15 नवंबर को तकनीकी बिड खोली गई, जिसमें
सात फर्में योग्य पाई गईं। ठेकेदारों ने 20–25 लाख रुपये तक की जमानत राशि भी जमा कर दी, लेकिन तभी अचानक अधिशासी अभियंता भगत सिंह की रिपोर्ट पर अधीक्षण अभियंता प्रकाश चंद्र ने टेंडर निरस्त कर दिया।
यही वह बिंदु है जहाँ से पूरा विवाद और संदेह शुरू हुआ।
टेंडर रद्द होने की खबर मिलते ही ठेकेदार भड़क उठे। उनका आरोप है कि बजट न होने की बात बहाना है। विभाग ने पहले से निश्चित फर्म को ठेका देने का रास्ता साफ करने के लिए टेंडर निरस्त किया
यह आरोप इसलिए भी मजबूत दिखते हैं क्योंकि बजट के बिना टेंडर निकालना ही नियमविरुद्ध है। अधीशासी अभियंता भगत सिंह का बयान है कि सिटी स्टेशन रोड का निर्माण हमारे विभाग का नहीं, डीसीएल का काम है। नगर निगम को बजट देना था। समय बचाने के लिए टेंडर निकाले गए, लेकिन तकनीकी बिड खुलने तक बजट नहीं मिला, इसलिए रद्द करना पड़ा। विभाग ने यह भी कहा कि ठेकेदारों की जमानत राशि वापस की जाएगी। बजट मिलने के बाद प्रक्रिया फिर शुरू होगी। लेकिन सवाल अपनी जगह बरकरार है बजट न होने के बावजूद टेंडर निकाला क्यों गया?
जर्जर सड़क पर जनता परेशान।नगर निगम–पीडब्ल्यूडी में तालमेल की कमी उजागर। बजट बिना टेंडर निकालना नियमों के खिलाफ है। सात योग्य फर्म मिलने पर भी टेंडर क्यों निरस्त किया। चहेती फर्म को लाभ पहुँचाने के आरोप मजबूत है। नगर निगम और पीडब्ल्यूडी दोनों में गंभीर लापरवाही एवं पारदर्शिता की कमी है। जनता अब यह सवाल पूछ रही है कि क्या सड़क का निर्माण होगा, या फाइलों में ही आगे भी गोल-गोल घूमता रहेगा।