बाड़मेर

कच्ची उम्र से आवारागर्दी, जवान होते-होते पढ़ाई छोड़ा…और बन गया तस्करी का सरगना, कौन है बाड़मेर का कुख्यात तस्कर शंकर?

Barmer Crime: एटीएस और एएनटीएफ ने 25 हजार के इनामी कुख्यात तस्कर शंकर को गिरफ्तार किया। बचपन से बिगड़ी राह पर चलते हुए वह मादक पदार्थ, शराब तस्करी, वाहन चोरी और मारपीट के मामलों में वांछित था।

2 min read
Oct 02, 2025
Smuggler Shankar arrested

Barmer Crime: आंतकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) और नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) की टीम ने बुधवार को एक अंतरराज्यीय तस्कर शंकर को गिरफ्तार किया है। टीम को सूचना मिली थी कि शंकर अपने एक मित्र के जरिए नई कार खरीदने की तैयारी कर रहा है। इसी सुराग पर पुलिस ने जाल बिछाया। कार लेकर टीम आरोपी के बुलावे पर पहुंची और बिना किसी हंगामे के शंकर को दबोच लिया।


एटीएस के पुलिस महानिरीक्षक विकास कुमार ने बताया कि मादक पदार्थ तस्करों और माफियाओं के विरुद्ध अतिरिक्त महानिदेशक वीके सिंह के निर्देशन में चलाए जा रहे ऑपरेशन मरुद्रग के तहत कार्रवाई करते हुए कुख्यात तस्कर शंकर पुत्र बिश्नाराम निवासी चौहटन (बाड़मेर) को गिरफ्तार किया। आरोपी की गिरफ्तारी के लिए 25 हजार रुपए का इनाम घोषित था। कुख्यात तस्कर के खिलाफ पादक पदार्थों की तस्करी, शराब तस्करी, वाहन चोरी, ऑर्म्स एक्ट, मारपीट समेत अन्य धाराओं के अनेक प्रकरण दर्ज हैं।

ये भी पढ़ें

राजस्थान में नाबालिग बच्चे का अपहरण कर कुकर्म का प्रयास, रस्सी से बांधकर कपड़े उतारा, फिर करने लगा गलत हरकत


बचपन से बिगड़ी राह


शंकर का जन्म एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। पिता ने चाहा कि बेटा पढ़-लिखकर अच्छी राह पकड़े, लेकिन दसवीं तक आते-आते शंकर की पढ़ाई छूट गई। आवारागर्दी में डूबते बेटे को संभालने के लिए पिता ने पहले उसे चेन्नई कपड़े के गोदाम में नौकरी पर भेजा, जहां 10 हजार रुपए महीने मिलते थे। लेकिन शंकर इतनी कमाई से संतुष्ट नहीं हुआ।


नौकरी छोड़कर घर लौट आया। पिता ने उसे गाड़ियों के काम में लगाया, लेकिन वहीं से उसकी तस्करी की दुनिया में एंट्री हुई। शुरू में ड्राइवर बना और धीरे-धीरे तस्करी में उतर गया। जल्द ही अपना नेटवर्क तैयार कर लिया और तस्करी का सरगना बन बैठा।


बिहार की जेल, फिर हैदाराबाद में छद्म पहचान


पुलिस रिकॉर्ड बताता है कि शंकर के खिलाफ मादक पदार्थों की तस्करी, अवैध शराब, वाहन चोरी, ऑर्म्स एक्ट और मारपीट जैसी धाराओं में कई केस दर्ज हैं। लंबे समय तक वह बिहार की जेल में भी रहा।


जेल से छूटने के बाद पुलिस की निगाह से बचने के लिए उसने हैदाराबाद का रुख किया और सूर्या नाम से वहां लोहे की रेलिंग का काम शुरू किया। लेकिन कमाई कम लगी तो उसने फिर से पुराना धंधा पकड़ लिया। पुलिस को चकमा देने के लिए वह मोबाइल तक इस्तेमाल नहीं करता था।


कई राज्यों से जुड़ा नेटवर्क


आईजी एटीएस विकास कुमार ने बताया कि शंकर का नेटवर्क केवल राजस्थान तक सीमित नहीं था। मादक पदार्थों की सप्लाई मध्यप्रदेश तक फैली हुई थी, जबकि शराब तस्करी के तार बिहार से जुड़े थे। उसका दायरा इतना बड़ा था कि दबाव पड़ते ही वह एक राज्य से दूसरे राज्य में फरार हो जाता।


बड़ा शातिर, अब लंबी पूछताछ


पुलिस अधिकारियों का कहना है कि शंकर बेहद चालाक है। उसने फरारी के दौरान न केवल नाम बदला, बल्कि कभी मोबाइल नहीं रखा और केवल भरोसेमंद लोगों के जरिए ही काम करता था। अब एटीएस उससे पूछताछ कर रही है, ताकि पूरे नेटवर्क और पीछे खड़े सरगनाओं का खुलासा हो सके।

ये भी पढ़ें

राजस्थान में 3 करोड़ रुपए का ‘नशा’ भस्म, तस्करी होती तो युवा पीढ़ी हो जाती बर्बाद, स्मैक की बोरियां भरकर लाए पुलिसकर्मी

Published on:
02 Oct 2025 12:33 pm
Also Read
View All

अगली खबर