CG News: जेम पोर्टल से खरीदी तो की गई, लेकिन जब आरओ संबंधित स्कूलों में पहुंचे तो कई जगह वे जल संकट और कनेक्शन की कमी के चलते चालू ही नहीं हो सके।
CG News: बेमेतरा जिले में खनिज मद से स्कूल शिक्षा विभाग के लिए खरीदे गए आरओ की खरीद प्रक्रिया पर अब सवाल खड़े हो गए हैं। तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी ने जेम पोर्टल के माध्यम से 21 नग 250 एलपीएच आरओ खरीदे गए थे। इसके लिए लगभग 78 लाख 66 हजार 600 रुपए का भुगतान संबंधित फर्म को किया गया। खरीद के लिए अधिकारी ने स्वयं की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति गठित की थी।
सरकारी नियमों का हवाला देकर जेम पोर्टल से खरीदी तो की गई, लेकिन जब आरओ संबंधित स्कूलों में पहुंचे तो कई जगह वे जल संकट और कनेक्शन की कमी के चलते चालू ही नहीं हो सके। जमीनी स्तर पर उपयोगिता और लागत की पड़ताल हुई तो चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि जिस आरओ की कीमत खुले बाजार में लगभग 80 हजार रुपए है, वही आरओ जेम पोर्टल से पौने चार लाख रुपए में खरीदा गया। मामले के संज्ञान में आने पर कलेक्टर ने भौतिक सत्यापन कराया। जांच के बाद अब विभाग ने आपूर्तिकर्ता से अतिरिक्त राशि की वसूली के लिए पत्राचार शुरू कर दिया है।
जिले के स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूलों बेमेतरा, बेरला, नवागढ़ और देवकर में एलकेजी व यूकेजी के लगभग 276 बच्चे अध्ययनरत हैं। इन कक्षाओं के शिक्षकों का वेतन अब तक खनिज मद से दिया जा रहा था। भुगतान संकट के कारण शिक्षकों को विदाई पत्र थमा दिया गया है। शिक्षाविदों का कहना है कि एलकेजी और यूकेजी कक्षाओं के लिए न तो राज्य सरकार के पास कोई वैध पाठ्यक्रम है, न ही वैधानिक मान्यता।
गरीब अभिभावक अंग्रेजी शिक्षा के आकर्षण में बच्चों को एडमिशन तो दिला रहे हैं, लेकिन अब उनका भविष्य अनिश्चित दिखाई दे रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब शिक्षण व्यवस्था खुद संकट में थी, तब क्या बच्चों की पढ़ाई ज्यादा जरूरी थी या फिर आरओ खरीदना? आरओ की मांग आखिर किन स्कूलों से आई थी? भुगतान से पहले भौतिक सत्यापन क्यों नहीं हुआ? जेम पोर्टल के नाम पर कहीं ऽगेमऽ तो नहीं खेला गया, यह जांच का विषय है।
मेरे आने से पहले 21 नग आरओ की खरीदी की गई थी। कलेक्टर कार्यालय से प्राप्त पत्र के अनुसार आपूर्तिकर्ता को लगभग 23 लाख रुपए जमा करने के लिए एक बार पत्र एवं दूसरी बार स्मरण पत्र भेजा गया है।
जीआर चतुर्वेदी, जिला शिक्षा अधिकारी, बेमेतरा