MP News : हमारे समाज में कहा जाता है कि बेटे मां-बाप के बुढ़ापे का सहारा होते हैं। जिसके एक नहीं, पांच-पांच बेटे हों तो कहना ही क्या… पर विडंबना है कि एक भी बेटा पिता का सहारा नहीं बनना चाहता। वे पाई-पाई को मोहताज हैं।
MP News : हमारे समाज में कहा जाता है कि बेटे मां-बाप के बुढ़ापे का सहारा होते हैं। जिसके एक नहीं, पांच-पांच बेटे हों तो कहना ही क्या… पर विडंबना है कि एक भी बेटा पिता का सहारा नहीं बनना चाहता। वे पाई-पाई को मोहताज हैं। बेटों ने उन्हें घर और जमीन से बेदखल कर दिया, इस पर उन्होंने कोर्ट में गुहार लगाई। ये मामला मध्यप्रदेश के बैतूल का बताया जा रहा है।
कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी बेटे उन्हें हर माह पांच हजार रुपए देंगे। आमला(MP News ) के ग्राम ससुन्द्रा निवासी भद्दू ने कोर्ट में भरण-पोषण के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था। अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) आमला के न्यायालय ने सुनवाई करते हुए पांचों बेटों को नोटिस जारी किया। लेकिन कुछ ने सूचना पत्र लेने से ही इनकार कर दिया। ऐसे में कोर्ट ने एकपक्षीय सुनवाई कर बुजुर्ग पिता की व्यथा सुनी। बाद में बेटों ने कहा, कोर्ट जो भरण-पोषण की राशि तय करेगा, वे उसका पालन करेंगे। इसके बाद कोर्ट ने यह फैसला सुनाया।
भद्दू ने बताया कि उनके बेटे रमेश, सुभाष, कपूरचन्द, अमरचन्द्र और करमचन्द ने उन्हें घर से निकाल दिया। उनकी 30 एकड़ कृषि भूमि पर भी कब्जा कर लिया। वृद्धावस्था के कारण वे मजदूरी करने में असमर्थ हैं। उनके पास जीवनयापन के लिए कोई साधन नहीं है। ऐसे में उन्होंने न्यायालय से भरण पोषण के लिए सहायता मांगी।
पहले सुनवाई में नोटिस लेने से इनकार करने वाले बेटे बाद में जागे और कोर्ट में यह जवाब पेश किया कि उन्हें पिता से कोई कृषि भूमि नहीं मिली है। सभी आरोप झूठे हैं। कोर्ट ने भद्दू के पक्ष में फैसला सुनाया। आदेश दिया कि पांचों बेटे पिता को हर माह 1000-1000 रुपए भरण-पोषण राशि देंगे। कुल पांच हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाएंगे।