B.Ed Exam: परीक्षा आवेदन प्रक्रिया से पहले सभी बीएड कॉलेजों से विद्यार्थियों की अटेंडेंस शीट तलब कर विवि स्तर पर सत्यापन करने की तैयारी है...
B.Ed Exam: फरवरी से शुरू होने जा रही हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की बीएड सेमेस्टर परीक्षाओं से पहले विश्वविद्यालय ने कड़ा रुख अपनाया है। 80 प्रतिशत से कम कक्षा उपस्थिति वाले विद्यार्थियों को परीक्षा से बाहर किया जाएगा। इसके लिए परीक्षा आवेदन प्रक्रिया से पहले सभी बीएड कॉलेजों से विद्यार्थियों की अटेंडेंस शीट तलब कर विवि स्तर पर सत्यापन करने की तैयारी है।
विवि ने स्पष्ट किया है कि जिन विद्यार्थियों की उपस्थिति निर्धारित मानक से कम होगी, उनके परीक्षा आवेदन को महाविद्यालय ऑनलाइन वेरीफाई नहीं कर सकेंगे। यदि इसके बावजूद कोई कॉलेज ऐसे विद्यार्थियों का आवेदन सत्यापित करता है, तो विवि किसी भी स्तर पर उन्हें परीक्षा से डिस्क्वालिफाई कर सकता है। ऐसी स्थिति में पूरी जिम्मेदारी संबंधित कॉलेज और विद्यार्थी की होगी और किसी तरह की सुनवाई भी नहीं की जाएगी। खास बात यह है कि बीएड विद्यार्थियों को परीक्षा से पहले लगभग सवा महीने का समय मिलता है, लेकिन इस अवधि में भी बड़ी संख्या में छात्र कॉलेज नहीं आते।
कुछ वर्षों में बीएड कोर्स के प्रति रुचि में करीब 200 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस साल जिले के 32 बीएड कॉलेजों की 3,500 सीटों के लिए करीब 1.58 लाख आवेदन आए। प्रदेशभर में बीएड और डीएलएड की 21 हजार सीटों के लिए लगभग 4 लाख आवेदन मिले, जो पिछले वर्ष की तुलना में दोगुने हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मांग के साथ नियमों की अनदेखी जैसी शिकायतों को बढ़ावा मिला, जिसे रोकने विवि अब सख्ती कर रहा है।
बीएड कॉलेजों में चल रही अनियमितताओं पर रोक लगाने और शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए विवि जांच समिति गठित करने जा रहा है। नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) के नियमों के अनुसार बीएड विद्यार्थियों की उपस्थिति बायोमैट्रिक डिवाइस से दर्ज होना अनिवार्य है, लेकिन दुर्ग संभाग के करीब 83 प्रतिशत कॉलेजों में बायोमैट्रिक मशीनें ही नहीं लगाई गई हैं। जहां मशीनें लगी भी हैं, वहां डेटा से छेड़छाड़ कर हर साल विवरण भेजे जाने की शिकायतें हैं। विवि अब इस व्यवस्था को बदलने के लिए सख्त कार्रवाई की तैयारी में है।
दुर्ग जिले के बीएड कॉलेजों में लगभग 3,600 सीटें हैं। अब तक विवि स्तर पर कॉलेजों से भेजी गई अटेंडेंस का वास्तविक सत्यापन नहीं किया जाता था, जिससे नियमों की अनदेखी होती रही। अब विवि ने निर्णय लिया है कि केवल वास्तविक और सत्यापित उपस्थिति वाले विद्यार्थियों को ही परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाएगी।