12 सौ एमएम पाइप डालकर बनाया रास्ता, बिना अनुमति नदी में डाली ग्रेवल निरीक्षण में मिली एलएनटी, ट्रैक्टर-ट्रॉली और 16 सीमेंट पाइपों का जखीरा
बनास नदी में बहते पानी से बजरी निकालने के लिए लीजधारक द्वारा अवैध तरीके से अस्थाई पुलिया बनाने का मामला सामने आया है। पुलिया के नीचे 12 सौ एमएम के चार पाइप डालकर पानी निकाला जा रहा था, जबकि इस कार्य की किसी विभाग से अनुमति नहीं ली गई थी। गुरुवार को जिला कलक्टर के निर्देश पर गठित संयुक्त जांच टीम जब मौके पर पहुंची, तो पूरा अवैध बजरी का मामला उजागर हो गया।
16 पाइप पड़े मिले, नदी पर वाहनों के निशान
जांच टीम को मौके पर 12 सौ एमएम के 16 सीमेंट पाइप पड़े मिले। चार पाइप नदी के बीच डालकर ग्रेवल और बजरी से पुलिया बना दी गई थी। पुलिया पर वाहनों के टायरों के निशान भी स्पष्ट रूप से दिखाई दिए। अस्थाई पुलिया के नीचे पानी के बहाव को बनाए रखने के लिए झाडि़या और रेत से भरे कट्टे दबाव के लिए लगाए गए थे। मौके पर एक एलएनटी मशीन और एक ट्रैक्टर-ट्रॉली भी खड़ी मिली।
गौरतलब है कि बनास नदी में बजरी खनन के खिलाफ बुधवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर के नेतृत्व में ग्रामीणों ने जिला कलक्टर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया था। गुर्जर ने अतिरिक्त जिला कलक्टर को काम को रोकने के लिए ज्ञापन दिया था। कलक्टर के निर्देश पर एक संयुक्त जांच टीम का गठन किया गया था।
ग्रामीण बोले नदी को बर्बाद न होने दें
टीम के निरीक्षण के दौरान सोपुरा, चांदगढ़, आकोला, जीवाखेड़ा, दोवनी, खजीना, होलीरड़ा, गेगा का खेड़ा और बडलियास गांवों के ग्रामीण भी मौके पर पहुंच गए। ग्रामीणों ने खनिज विभाग के अधिकारियों से एलएनटी मशीन जब्त करने की मांग की और कहा कि नदी में इस तरह का निर्माण बनास नदी की धारा को रोकने जैसा अपराध है। सूचना के बाद बडलियास पुलिस को भी मौके की जानकारी दी गई।
नदी में अस्थाई निर्माण बड़ा मुद्दा
एक अधिकारी ने बताया कि बनास नदी में इस तरह का अस्थाई निर्माण केवल भीलवाड़ा जिले तक सीमित नहीं है। कई जिलों में बजरी खनन के नाम पर नदियों की धारा बदलने और तटबंधों को कमजोर करने की शिकायतें सामने आ चुकी हैं। राज्य सरकार के पर्यावरणीय दिशा निर्देशों के अनुसार नदी में बहते पानी के दौरान किसी भी तरह का खनन सख्त वर्जित है।
लीजधारक का बोर्ड मिला, लेकिन मुटाम नहीं
निरीक्षण स्थल पर केवल महादेव एंक्लेव प्राइवेट लिमिटेड नामक लीजधारक कंपनी का बोर्ड लगा मिला, लेकिन सीमांकन या मुटाम व कंपनी के प्रतिनिधि मौके पर नहीं थे। इससे खनन गतिविधियों की पारदर्शिता पर सवाल उठे हैं।
यह अधिकारी रहे टीम में शामिल
संयुक्त जांच टीम में शामिल रहे खनिज अभियंता महेश शर्मा, सहायक खनिज अभियंता सुनील सनाढ्य, प्रदूषण नियंत्रण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी दीपक धनेटवाल, अधीक्षण वैज्ञानिक अधिकारी महेश कुमार सिंह, नायब तहसीलदार बडलियास मदन शर्मा, पटवारी अमित कुमार, तथा भू-अभिलेख निरीक्षक कृष्ण गोपाल शर्मा। टीम ने मौके का विस्तृत निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की, जो शुक्रवार को जिला कलक्टर को सौंपी जाएगी।
नदी में बहते पानी से खनन नियम विरुद्ध
नदी में बहते हुए पानी से बजरी निकालना नियमानुसार गलत है। मौके पर किए गए निर्माण और पाइप बिछाने की जानकारी रिपोर्ट में दर्ज कर ली गई है। रिपोर्ट को शुक्रवार को जिला कलक्टर को सौंप दी जाएगी।
महेश शर्मा, खनिज अभियंता, भीलवाड़ा