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निपुण मेले को लेकर वीसी पर सवाल: शिक्षक राज्य स्तरीय सम्मेलन में, वीसी से कौन जुडेगा

- 23 को निपुण मेला को लेकर आज वीसी, शिक्षक, पीईईओ व यूसीईईओ शिक्षक सम्मेलन में

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Questions raised during VC meeting regarding the Nipun fair.

Questions raised during VC meeting regarding the Nipun fair.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति–2020 के अनुरूप प्रारंभिक कक्षाओं में बुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान(एफएलएन) को मजबूत करने के उद्देश्य से 23 दिसंबर को प्रदेश में निपुण मेले का आयोजन होगा। यह मेला सभी विद्यालयों में आयोजित किया जाना है। इसकी तैयारी को लेकर शनिवार को शासन सचिव की अध्यक्षता में वीसी होगी। वीसी सुबह 11.30 से 1.30 बजे तक होगी। इसमें 23 दिसंबर को होने वाली मेगा पीटीएम एवं निपुण मेले के आयोजन को लेकर चर्चा की जाएगी। वीसी में हिस्सा लेने के लिए सभी शिक्षा अधिकारियों को सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग की ओर से बनाए गए केंद्रों पर पहुंचकर हिस्सा लेने के आदेश जारी किए है।

राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की राज्य परियोजना निदेशक एवं आयुक्त अनुपमा जोरवाल ने आदेश जारी कर सभी शिक्षा अधिकारी को वीसी में शामिल होने को कहा है। जबकि इसी दौरान बांसवाड़ा जिले के सागवाड़ा व उदयपुर के डबोक में राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में शिक्षक भाग लेने के लिए पहले ही वहा पहुंच चुके है। यह सम्मेलन 19 व 20 दिसंबर को हो रहा है। ऐसे में जमीनी स्तर पर यह सवाल उठने लगा है कि जब शिक्षक सम्मेलन में अधिकारी भाग ले रहे है तो वे अपने विद्यालयों में निपुण मेले की गतिविधियों की तैयारी को लेकर वीसी में कैसे शामिल हो सकते है। जबकि अगले दिन रविवार है।

मैदानी स्तर पर व्यावहारिक परेशानी

शिक्षक संगठनों और शिक्षा से जुड़े कार्मिकों का कहना है कि एक ओर निपुण मेला जैसे महत्वपूर्ण शैक्षणिक कार्यक्रम की तैयारी को लेकर सक्रिय भागीदारी अपेक्षित है, वहीं दूसरी ओर राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मेलन में उपस्थिति भी अनिवार्य है। ऐसे में दो महत्वपूर्ण आयोजनों की तिथियां एक-दूसरे से टकराने से व्यवस्था प्रभावित होने की आशंका है। राजस्थान शिक्षक संघ (प्रगतिशील) के प्रदेश अध्यक्ष नीरज शर्मा का मानना है कि निपुण भारत मिशन की सफलता के लिए शिक्षकों की प्रत्यक्ष भूमिका बेहद जरूरी है। यदि शिक्षक सम्मेलन में बाहर रहेंगे, तो निपुण मेले की गतिविधियां केवल औपचारिकता बनकर न रह जाएं, इसके लिए विभागीय स्तर पर स्पष्ट दिशा-निर्देश और वैकल्पिक व्यवस्था की आवश्यकता है।