भीलवाड़ा नगर विकास न्यास की लापरवाही से 27 लाख का गलत भुगतान हुआ। एक ही नाम की दो एजेंसियों लिबर्टी कंस्ट्रक्शन ने साजिश रच सरकारी राशि हड़प ली। धोखाधड़ी की रिपोर्ट थाने में दी गई है। चार कर्मियों को नोटिस जारी कर विभागीय जांच जारी है।
भीलवाड़ा: नगर विकास न्यास की लापरवाही से 27 लाख के गलत भुगतान का मामला अब पुलिस थाने में पहुंच गया है। न्यास ने निर्माण एजेंसी लिबर्टी कंस्ट्रक्शन की उदयपुर और भीलवाड़ा के नाम धोखाधड़ी की रिपोर्ट दी है। इसमें मिलते जुलते नाम की एजेंसी के मालिकों के खिलाफ षड्यंत्र रचकर न्यास की राजकीय राशि हड़पने का आरोप लगाया है।
न्यास सचिव ललित गोयल ने बताया कि एक ही नाम की दो निर्माण एजेंसी का पंजीयन है। इनमें मैसर्स लिबर्टी कंस्ट्रक्शन उदयपुर को जारी होने वाला निर्माण कार्य का भुगतान का चेक मैसर्स लिबर्टी कंस्ट्रेक्शन भीलवाड़ा के नाम जारी हो गया। भीलवाड़ा एजेंसी को नोटिस दिए जाने के बावजूद भुगतान राशि का रिफंड नहीं किया। उदयपुर एजेंसी की भी इसमें मिली भगत सामने आई है। दोनों एजेंसी के खिलाफ सहायक अभियंता रामप्रसाद जाट के जरिए थाने में रिपोर्ट दी है।
संतोकपुरा ग्राम पंचायत के लालखान जी का खेड़ा कब्रिस्तान से मांडल चौराहा तक नगर विकास न्यास ने नाले के निर्माण कार्य के लिए वर्ष 2023 में एक करोड़ चालीस लाख का टेंडर किया था। यह टेंडर लिबर्टी कंस्ट्रक्शन उदयपुर के नाम छूटने पर एलओए जारी किया गया। गलती से एलओए लिबर्टी कंस्ट्रेक्शन जूनावास, उदयपुर के नाम जारी हो गया। उदयपुर के संवेदक ने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई और एलओए प्राप्ति की रसीद भी दे दी। इतना ही नहीं बैंक गारंटी भी उदयपुर एजेंसी ने ही दी। इससे चूक की जानकारी नहीं हो सकी।
राजस्थान पत्रिका ने नगर विकास न्यास में गलत तरीके से हुए निर्माण कार्य के भुगतान को लेकर 26 अप्रेल 2025 के अंक में ’यूआईटी में 27 लाख के भुगतान में बदली एजेंसी, होगी जांच’ शीर्षक से खुलासा किया था। नगर विकास न्यास एवं जिला कलेक्टर जसमीत सिंह संधू ने समूचे मामले को गंभीरता से लिया और विभागीय स्तर पर जांच के आदेश दिए।
इस मामले में विभागीय स्तर पर भी चूक सामने आई है। इसको लेकर तत्कालीन अधिशासी अभियंता जीतमल जाट और तत्कालीन सहायक लेखा अधिकारी सुरेश काष्ट के साथ ही विभागीय कर्मचारी राजेन्द्र मूंदड़ा व गोपाल तोतला को भी कारण बताओ नोटिस जारी दिया गया।
निर्माण कार्य का वर्क ऑडर जारी होने के दौरान न्यास कर्मियों ने फिर गलती दोहराई। लेकिन न्यास का कहना था कि इस बार भी वर्क ऑडर की रसीद उदयपुर एजेंसी ने ही दी। निर्माण कार्य का पहला चेक उदयपुर एजेंसी के नाम तीस लाख का जारी हुआ। दूसरे बिल को लेकर उदयपुर एजेंसी ने बताया कि उसके बैंक खाते की केवाईसी नहीं हुई है। अन्य बैंक खाते में राशि जमा करा दें। लेकिन पुराने खाते के नाम पर ही चेक जारी हो गया।
इस पर तत्कालीन जिला कलेक्टर नमित मेहता ने संशोधित चेक जारी होने पर नाराजगी जताई और भविष्य में दोबारा ऐसी गलती नहीं होने की हिदायत दी। इसके बावजूद न्यास कर्मी गलती नहीं सुधार सके और भुगतान का तीसरा चेक उदयपुर के बजाए भीलवाड़ा एजेंसी के नाम कर दिया। इस पर उदयपुर एजेंसी ने आपत्ति जताई और भुगतान की मांग की।