सेमिनार में 21 उद्योगों के प्रतिनिधि रहे मौजूद 30 एमएलडी क्षमता के एसटीपी प्लांट से होगा पुन: उपयोग का विस्तार
भीलवाड़ा शहर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से उपचारित पानी के पुन: औद्योगिक उपयोग को बढ़ावा देने तथा जल संरक्षण के उन्नत समाधानों पर मंथन करने के लिए एक होटल में सेमिनार आयोजित की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता अतिरिक्त जिला कलक्टर ने की। आयोजन डिज़ायर इंटीग्रेटेड वॉटर मैनेजमेंट व राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से किया गया।
उद्योगों में रीयूज वाटर की संभावनाओं पर चर्चा
कार्यक्रम के दौरान एसटीपी से प्राप्त ट्रीटेड वेस्ट वाटर का किस प्रकार औद्योगिक इकाइयों में उपयोग बढ़ाया जा सकता है, इस पर विशेषज्ञों ने विस्तृत प्रस्तुति दी। सेमिनार में 21 उद्योगों के प्रतिनिधि, प्रोसेस और डाई हाउस संचालक, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी दीपक धनेटवाल, वरिष्ठ वैज्ञानिक महेश कुमार सिंह, नगर निगम आयुक्त हेमाराम चौधरी, जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक, रीको के अधिकारी सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे।
कम्पनी की ओर से उद्योगों से उनकी आवश्यकता के अनुसार पानी की मांग बताने का आग्रह किया। वहीं प्रोसेस हाउस संचालकों ने रीयूज वाटर की क्वालिटी, पैरामीटर को लेकर विस्तृत चर्चा की। इस दौरान बीबी सिंह, राजेश तोतला, पवन गुप्ता सहित अन्य उद्यमियों ने सवाल-जवाब किए।
भीलवाड़ा में 60 एमएलडी के एसटीपी की क्षमता
भीलवाड़ा शहर में लगभग 45 हजार घर सीवरेज लाइन से जुड़े हुए हैं। कुवाड़ा में 30 एमएलडी क्षमता वाला एसटीपी संचालित किया जा रहा है। इसमें ट्रीट होने वाले पानी को फिलहाल कोठारी नदी में छोड़ा जा रहा है।
इसके अलावा जिंदल सॉ लिमिटेड की ओर से 10 एमएलडी का प्लांट संचालित किया जा रहा है। इससे 5 से 7 एमएलडी पानी स्वयं के उद्योग में उपयोग हो रहा है। जिंदल के पास अतिरिक्त 10 एमएलडी क्षमता का एक और प्लांट भी तैयार है। साथ ही दूसरे चरण के सीवरेज प्रोजेक्ट के तहत कुवाड़ा में एक और 10 एमएलडी एसटीपी निर्माणाधीन है। कुल मिलाकर शहर में 60 एमएलडी क्षमता के ट्रीटमेंट प्लांट उपलब्ध हो जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार इस पानी का उपयोग उद्योग, पार्क या कृषि कार्यों में किया जाना अनिवार्य है।
नगर निगम से किया एमओयू
डिज़ायर ने 30 एमएलडी क्षमता वाले एसटीपी से उपचारित पानी को रीयूज कर उद्योगों तक आपूर्ति करने के लिए नगर निगम के साथ एमओयू किया है। इस परियोजना पर मार्च 2026 से कार्य प्रारंभ होगा। इसी संदर्भ में उद्यमियों के साथ पानी की उपलब्धता, गुणवत्ता और आपूर्ति से संबंधित मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गई।