- लाइमस्टोन का पंजीकरण 31 मार्च तक भारतीय खान ब्यूरो में कराना होगा - फिलहाल रॉयल्टी दरों में राहत, वर्तमान में प्रचलित दरों पर ही देय रहेगी
केंद्र सरकार की ओर से लाइमस्टोन (चूना पत्थर) को अप्रमुख खनिज से प्रमुख खनिज की श्रेणी में शामिल किए जाने के बाद राजस्थान में खनन व्यवस्था में बड़ा बदलाव हुआ है। राज्य के खनन एवं भूविज्ञान विभाग ने आदेश जारी कर सभी लाइमस्टोन खनन पट्टाधारकों को केंद्र सरकार के निर्देशों की सख्ती से पालना सुनिश्चित करने को कहा है। आदेश के अनुसार खान मंत्रालय की अधिसूचना के तहत लाइमस्टोन को प्रमुख खनिज घोषित किया है। इसके बाद भारत सरकार के निर्देशों के अनुरूप प्रदेश में खनन कार्यों को नई व्यवस्था के तहत संचालित किया जाएगा। एमसीडीआर-2017 के नियम 45(1) के तहत सभी लाइमस्टोन पट्टाधारकों को 31 मार्च 2026 से पहले भारतीय खान ब्यूरो (आईबीएम) में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। इसी अवधि तक रॉयल्टी वर्तमान में प्रचलित दरों पर ही देय रहेगी।
जिन खदानों का माइनिंग प्लान सक्षम स्तर से स्वीकृत है और जिसकी वैधता 31 मार्च 2027 से आगे है, वे प्लान 31 मार्च 2027 तक मान्य रहेंगे। ऐसे मामलों में माइनिंग प्लान की प्रति 31 मार्च 2026 से पहले भारतीय खान ब्यूरो में प्रस्तुत करनी होगी। इसके बाद आगे की अवधि के लिए आइबीएम से अनुमोदन अनिवार्य किया है। यदि किसी खदान का माइनिंग प्लान समाप्त हो चुका है, तो 31 मार्च 2026 तक विभागीय स्तर से अस्थायी अनुमोदन लिया जा सकेगा। इसकी वैधता 31 मार्च 2027 तक रहेगी। इसके बाद भारतीय खान ब्यूरो से अनुमोदन आवश्यक होगा।
एमसीडीआर-2017 के नियम 34 के तहत 1 जुलाई 2027 से पहले खनन क्षेत्र की डिजिटल एरियल इमेजरी भारतीय खान ब्यूरो को प्रस्तुत करनी होगी। वहीं 31 मार्च 2027 तक प्रस्तुत वित्तीय आश्वासन मान्य रहेगा, उसके बाद खान बंदी योजना अथवा अंतिम खान बंदी योजना के अनुसार नई व्यवस्था लागू होगी। वर्ष 2025-26 के लिए सेल्फ असेसमेंट से राहत दी है, लेकिन इसके बाद स्टार रेटिंग के लिए भारतीय खान ब्यूरो की वेबसाइट पर पंजीकरण और अनिवार्य न्यूनतम स्टार रेटिंग प्राप्त करना जरूरी होगा।
31 मार्च 2026 तक मासिक और वार्षिक रिटर्न में छूट रहेगी, लेकिन इसके बाद भारतीय खान ब्यूरो की वेबसाइट पर नियमित ऑनलाइन प्रस्तुतीकरण अनिवार्य होगा। नियमों की अवहेलना पर एमसीडीआर- 2017 के तहत कार्रवाई की जाएगी।