- पद स्वीकृति नहीं, शिक्षण व्यवस्था बेपटरी
प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था सुधारने के दावों के बीच सरकार स्कूलों को क्रमोन्नत कर भूल गई है। गत वर्षों में बड़ी संख्या में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों को अपग्रेड तो किया, लेकिन आज भी अधिकांश में शिक्षकों के पद स्वीकृत नहीं हुए हैं। न बुनियादी सुविधाएं विकसित की गईं और न ही विषयवार शिक्षकों को लगाया गया, ऐसे में पठन-पाठन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। भीलवाड़ा सहित विभिन्न जिलों में पिछले साल क्रमोन्नत हुए दर्जनों विद्यालयों में अब तक व्याख्याताओं और सेकंड ग्रेड शिक्षकों के पदों की प्रशासनिक मंजूरी लंबित है। हिंदी और अंग्रेजी जैसे अनिवार्य विषयों में तो हालात और गंभीर हैं। कक्षाएं हैं, विद्यार्थी हैं, पर पढ़ाने वाले शिक्षक ही नहीं है।
बस बोर्ड बदला, व्यवस्था नहीं
विद्यालयों के नाम बोर्ड बदल दि, पर संसाधन और मानवबल वहीं के वहीं। विद्यालयों को उच्च माध्यमिक स्तर पर अपग्रेड करने के बावजूद विषयवार शिक्षकों के पद स्वीकृत नहीं है। प्रयोगशाला व पुस्तकालय जैसी मूलभूत सुविधाएं अधूरी है। पढ़ाई बाधित, परीक्षा परिणामों पर असर पड़ेगा। शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि मात्र स्कूलों का दर्जा बढ़ाने से विद्यार्थियों का भला नहीं हो सकता। सरकारी दावों में और जमीनी हकीकत में बड़ा अंतर दिखाई दे रहा है। अधिकांश स्कूलों में अतिव्यस्त शिक्षक है। पीरियड समायोजन की मजबूरी व वैकल्पिक प्रबंधों पर निर्भरता है। इससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लक्ष्य अधूरा रह गया है।
क्रमोन्नत विद्यालयों में शीघ्र पद स्वीकृति जरूरी
सरकार ने बिना तैयारी के स्कूलों को क्रमोन्नत कर दिया। शिक्षकों के बिना सिर्फ नाम में बदलाव से कोई लाभ नहीं मिलने वाला। सरकार को तुरंत आवश्यक पद स्वीकृत कर विद्यालयों को संसाधन उपलब्ध करवाने चाहिए।
- नीरज शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष, राजस्थान शिक्षक संघ (प्रगतिशील)