भीलवाड़ा

Dussehra 2024: राजस्थान का एक ऐसा रावण जो कभी जलता नहीं, वध ही होता है

Dussehra 2024: राजस्थान के इस गांव में रावण की स्थाई प्रतिमा होने के कारण आसपास के गांव वाले इसे 'रावण का गांव' भी कहते हैं।

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Oct 11, 2024

Dussehra 2024: राजस्थान के शाहपुरा जिले के रोपा गांव में कई सालों से अनोखी परम्परा चल रही है। यहां दशहरे पर्व पर रावण दहन नहीं होता बल्कि वध किया जाता है। दिलचस्प बात यह है कि यहां 85 साल से दस फीट ऊंचे रावण की स्थाई प्रतिमा है। यह सीमेंट एवं पत्थर से बनी है। अधिक बोली लगाने वाला राम बनता है। दहशरे पर स्थाई प्रतिमा का रंग-रोगन करके वध के लिए तैयार की जाती है। ग्रामीणों का मानना है कि लक्ष्मण ने जिससे ज्ञान प्राप्त किया हो उसको इंसान कैसे जला सकता हैं।

कहलाता है रावण का गांव

गांव के चौराहे पर रावण की स्थाई प्रतिमा होने के कारण आसपास के गांव वाले रोपा को 'रावण का गांव' भी कहते हैं। सरपंच सत्यनारायण धाकड़ ने बताया कि रावण वध की परंपरा किसने शुरू की। इसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है लेकिन पूर्वजों के समय से गांव में दशहरे पर्व पर परम्परा चली आ रही है। पहले गांव के चौराहे पर रावण की मिट्टी की प्रतिमा बनी थी। इसे कई सालों पहले सीमेंट की बनवा दी गई।

एक दिन पहले लंका दहन

रावण वध से एक दिन पहले लंका दहन होता है। गांव के भगवान चारभुजा नाथ मंदिर से ठाकुर जी की शोभायात्रा निकाली जाती है। साथ ही हनुमान बने बाल कलाकार रावण चौक पहुंचते हैं, यहां लंका दहन होता है। रावण विद्वान तथा शिव भक्त था। अंतिम समय भगवान श्रीराम के कहने पर लक्ष्मण ने रावण के चरणों के पास खड़े होकर ज्ञान प्राप्त किया था। ग्रामीणों का मानना है कि ऐसे में उसको जलाया नहीं जा सकता।

बोली से चुने जाते राम-लक्ष्मण

राम-लक्ष्मण बनने के लिए बोली लगती है। जो अधिक बोली लगाएगा वह राम-लक्ष्मण बनता है। भगवान चारभुजा नाथ मंदिर में रखे हुए भाले से रावण का वध करते हैं। वध करने के लिए रावण की स्थाई प्रतिमा के पेट पर मटकी बांधी जाती है। राम भाले से मटकी फोड़कर वध करते है। बोली से एकत्र राशि धार्मिक आयोजन में खर्च की जाती है।

Updated on:
11 Oct 2024 07:02 pm
Published on:
11 Oct 2024 08:53 am
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