सर्द हवाएं और धुंध रबी की फसलों के लिए वरदान, लेकिन यूरिया की कमी से किसान परेशान
दिसंबर शुरू होने के साथ ही भीलवाड़ा जिले में सुबह और शाम के समय तापमान में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। इससे अब कड़ाके की सर्दी महसूस होने लगी है। मौसम में आए इस बदलाव ने न केवल लोगों की दिनचर्या बदल दी है, बल्कि इसका सीधा और सकारात्मक असर कृषि पर भी दिखने लगा है।
किसानों का मानना है कि गेहूं और सरसों जैसी फसलें ठंडी जलवायु की उपज हैं और तापमान में गिरावट से उनकी बढ़वार (ग्रोथ) बेहतरीन हो रही है। कांदा निवासी किसान बालूलालगाडरी ने बताया कि इस बार नवंबर के अंत में अच्छी सर्दी पड़ना शुरू हो गई है। इससे गेहूं की अगेती फसल मजबूत ग्रोथ कर रही है, और बढ़वार की संभावना बढ़ गई है।
किसानों के अनुसार बढ़ती सर्दी से फसल पर कीटों का असर कम होता है और पौधे की जड़ें अधिक मजबूत होती हैं। इससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों बढ़ने की संभावना है।
पिछले तीन दिनों से चल रही सर्द हवा और हल्की धुंध भी रबी की फसलों के लिए लाभदायक साबित हो रही है। पशुओं के लिए बोए गए हरे चारे पर सर्दी का मामूली असर पड़ सकता है, लेकिन अगेती बुआई वाले चारे को जो 6 से 8 इंच तक बढ़ चुका है, शीतलहर या कोहरे से कोई नुकसान नहीं है।
जिले में लगातार यूरिया खाद की आपूर्ति होने के बावजूद किसानों को यूरिया की कमी का सामना करना पड़ रहा है। कृषि विभाग के अधिकारियों का मानना है कि किसान जरूरत से ज्यादा यूरिया के बैग ले जा रहे हैं।
जिले में खाद की आपूर्ति के लिए कुल 722 सेंटर बनाए गए है। इनमें 341 निजी और 381 सरकारी शामिल हैं। वर्तमान में जिले में विभिन्न तरह का 8,000 टन खाद उपलब्ध है। इनमें 3,500 टन यूरिया शामिल है। इसके बावजूद, जहां भी यूरिया पहुंच रहा है, वह कुछ ही समय में समाप्त हो रहा है।
यह मौसम सर्दी की सब्जियों जैसे गोभी, पालक, धनिया, सरसों, मूली, लहसुन, प्याज, टमाटर, मटर और गाजर की फसल के लिए अनुकूल है। हालांकि, कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को कोहरे से बचाव के उपाय करने की सलाह दी है, क्योंकि इससे सब्जियों के पत्ते सड़ने लगते हैं। वहीं, गेहूं, सरसों और जौ की फसल को सर्दी या कोहरे से किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है।