भिंड

भिण्ड में जीवनदायिनी से खतरे की नहर बनी थ्री-आर, 40 गांवों की फसल पर मंडरा रहा जलभराव का संकट

गोरमी क्षेत्र के राऊपुरा, कल्यानपुरा, महदौली, अरेले का पुरा, रजगढि़या, दौनियापुरा, गोरमी, माेहनपुरा, बालूपुरा, सुज्जापुरा, कुटरौली, हसनपुरा सहित आदि गांवों की दस हजार से अधिक खेती नहर पर निर्भर है। नहर में पानी की बजाय धूल उड़ रही है। ग्रामीणों ने कब्जा कर खेतों में जोत लिया है। जबकि इसी क्षेत्र से निकली टू-एल, थ्री-एल और टूआर नहर की सफाई व मरम्मत के नाम पर भी खानापूर्ति की जा रही है।

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Dec 15, 2025

भिण्ड. कभी किसानों की खेती की रीढ़ मानी जाने वाली थ्री-आर नहर अब गोरमी क्षेत्र के किसानों के लिए गंभीर संकट बनती जा रही है। सिंचाई विभाग की लापरवाही के चलते पिछले पांच वर्षों से नहर की न तो सफाई हुई और न ही मरम्मत, जिससे नहर जर्जर हालत में पहुंच चुकी है।

थ्री-आर नहर से गोरमी क्षेत्र के 40 से अधिक गांवों की करीब 10 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होती है, लेकिन वर्तमान में नहर में पानी की बजाय धूल उड़ रही है और झाड़ियां खड़ी हैं। किसानों को आशंका है कि यदि बिना मरम्मत पानी छोड़ा गया तो नहर टूटकर खेतों में खड़ी फसल डुबो देगी, जैसा कि पिछले वर्ष हुआ था।

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आधा पक्की, आधी कच्ची नहर बनी मुसीबत

सिंचाई समिति के अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह पटेल ने थ्री-आर नहर की बदहाली को लेकर कलेक्टर से शिकायत दर्ज कराई है। उनका कहना है कि थ्री-आर नहर आधी पक्की और आधी कच्ची है। दौनियापुरा के आगे नहर पूरी तरह कच्ची है, जो जगह-जगह से फूटी पड़ी है। ऐसी स्थिति में यदि पानी छोड़ा गया तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।

लाखों का बजट, लेकिन जमीन पर काम शून्य

नहर की सफाई और मरम्मत के लिए हर साल लाखों रुपये का बजट स्वीकृत किया जाता है, लेकिन पिछले पांच साल से कोई कार्य नहीं हुआथ्री-आर नहर में झाड़ियां उग आई हैं और कई स्थानों पर ग्रामीणों ने अतिक्रमण कर खेतों में जोत लिया है।
पिछले साल बिना मरम्मत पानी छोड़े जाने से 100 बीघा से अधिक फसल खराब हो चुकी है, जिससे किसानों में भारी आक्रोश है।

चार नहरों पर टिकी 10 हजार हेक्टेयर खेती

गोरमी क्षेत्र के राऊपुरा, कल्यानपुरा, महदौली, अरेले का पुरा, रजगढ़िया, दौनियापुरा, गोरमी, मोहनपुरा, बालूपुरा, सुज्जापुरा, कुटरौली, हसनपुरा सहित कई गांवों की खेती टू-एल, थ्री-एल, टू-आर और थ्री-आर नहरों पर निर्भर है। लेकिन इन सभी नहरों में सफाई और मरम्मत के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है।

किसानों की पीड़ा, प्रशासन से उम्मीद

किसानों का कहना है कि समय पर पानी न मिलने से फसल सूख रही है और यदि अचानक पानी छोड़ा गया तो जलभराव से फसल बर्बाद हो जाएगी। ऐसे में किसान दोहरी मार झेल रहे हैं।

फैक्ट फाइल

  • 10 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि नहरों पर निर्भर
  • 5 साल से नहीं हुई नहर की सफाई
  • 40 गांवों के किसान प्रभावित
  • 4 प्रमुख नहरों से होती है सिंचाई

नहरों में पानी छोड़ा जा रहा है। थ्री-आर का निरीक्षण कर जल्द मरम्मत व सफाई का कार्य कराया जाएगा, ताकि किसानों को परेशानी न हो।

महेंद्र अगरैया, एसडीओ, सिंचाई विभाग गोरमी

Published on:
15 Dec 2025 05:21 pm
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