भोपाल

भोपाल गैस त्रासदी के 41 साल, यूका के जख्म अब ग्रंथियों पर, कई गुना बढ़ा थायरॉयड-मोटापा और डायबिटीज

Bhopal Gas Tragedy : ICMR के रिसर्च के तहत, इस गैस ने पीड़ितों की कई शारीरिक प्रणालियां क्षतिग्रस्त की हैं। ये उन्हें 4 दशक बाद भी अंदर से तोड़ रहे हैं। एमआइसी गैस ने सबसे ज्यादा पीड़ितों के एंडोक्राइन सिस्टम प्रभावित किया है।

2 min read
भोपाल गैस त्रासदी के 41 साल (Photo Source- Patrika)

Bhopal Gas Tragedy : 2 और 3 दिसंबर 1984 की वो मनहूस दरमियानी तारीख है, जब यूनियन कार्बाइड (यूका) से रिसी मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआइसी) ने भोपाल को कभी न भूलने वाला जख्म दिया। हजारों लोग जहरीली गैस की चपेट में मारे गए। कई दिव्यांग हो गए, लेकिन त्रासदी के 41 साल बाद भी गैस पीड़ितों में इस गैस का जहरीला असर दिख रहा है।

आइसीएमआर के रिसर्च के अनुसार, इस गैस ने पीड़ितों की कई शारीरिक प्रणालियों को क्षतिग्रस्त किया है। ये उन्हें 4 दशक बाद भी अंदर से तोड़ रहा है। एमआइसी गैस ने सबसे ज्यादा पीड़ितों के एंडोक्राइन सिस्टम को प्रभावित किया है। लंबे समय से पीड़ितों के इलाज व शोध कार्य से जुड़ी संभावना क्लीनिक के अध्ययन में साफ हुआ कि आम लोगों की तुलना में गैस पीड़ितों में थायरॉयड, मोटापा, डायबिटीज, हाईपरटेंशन के मामलों में काफी वृद्धि हुई है। ये प्रभाव श्वसन या आंखों तक सीमित नहीं है। पूरे शरीर के सिस्टम को प्रभावित कर रही है।

ये भी पढ़ें

SIR : चुनाव आयोग ने बढ़ाई सर्वे की अंतिम तारीख, दिसंबर में इस दिन तक पहचान बताने का मौका

अध्ययन बता रहा जहर अब भी सक्रिय

संभावना क्लीनिक की डॉ़. उषा आर्य ने बताया कि, आइसीएमआर के अध्ययन में एमआइसी गैस से विभिन्न शारीरिक प्रणालियों के नष्ट होने का खुलासा हुआ है। हमारे शोध में पीड़ितों में थायरॉयड, मोटापा, डायबिटीज और हाईपरटेंशन के मामलों बहुत अधिक पाए गए हैं। ये सामान्य लोगों की तुलना में कहीं ज्यादा है।

आखिर क्या करता है एंडोक्राइन सिस्टम?

यह ग्रंथियों और अंगों का नेटवर्क है। यह हार्मोन का उत्पादन और स्राव करता है। ये हार्मोन रक्तप्रवाह के जरिए शरीर में मूव करते हैं। चयापचय, प्रजनन और मूड जैसे कई शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करते हैं। एंडोक्राइन की प्रमुख ग्रंथियाें में हाइपोथैलेमस, पिट्यूटरी ग्रंथि, थायरॉयड ग्रंथि, पैराथायरॉइड ग्रंथियां, एड्रिनल, आइसलेट कोशिकाएं शामिल हैं। इन्हीं ग्रंथियों को यूनियन कार्बाइड से रिसी जहरीली एमआइसी गैस ने प्रभावित किया है।

अध्यन में खुलासा

अध्ययन के अनुसार, गैस पीड़ितों में थायरॉयड विकार सामान्य लोगों की तुलना में कई गुना ज्यादा मिला। मोटापा और हार्मोन का असंतुलन भी बढ़ा दिखा। डॉक्टरों का कहना है कि गैस वर्षों बाद भी शरीर की केमिकल बैलेंसिंग को बिगाड़ रही है। इसलिए डायबिटीज के मामले 5 गुना तो के 3 गुना अधिक मामले मिले हैं। ये लॉन्ग-टर्म टॉक्सिसिटी का स्पष्ट संकेत है।

Published on:
01 Dec 2025 01:06 pm
Also Read
View All

अगली खबर