Bhopal Gas Tragedy Waste in disposal: पीथमपुर में कचरा जलने के विरोध में डॉक्टर्स, बोले- पीथमपुर में रिसर्च को लेकर क्या है व्यवस्था, सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने भी रखे जाएंगे यह रिसर्च पेपर
Bhopal Gas Tragedy Waste Disposal: 3 दिसंबर 1984 को भोपाल में हुए गैस कांड के बाद से अब तक लगभग 400 स्टडी या रिसर्च हो चुके हैं, जो औद्योगिक कचरे या इसे नष्ट करने से होने वाले प्रभावों पर आधारित हैं। यह रिसर्च यह बताते हैं कि जीवित बचे लोगों में कैंसर का जोखिम बढ़ा है। कई रिपोर्ट यह बताती है कि भोपाल गैस कांड के बाद कैंसर का जोखिम 27 गुना बढ़ गया। इसमें फेफड़ों, ऑरोफरीनक्स और ओरल कैविटी कैंसर की संख्या भी सामने आई है।
अध्ययनों के बाद भी पीथमपुर में कचरा जलाया जा रहा है, जबकि अभी तक यह रिसर्च नहीं है कि इस रासायनिक कचरे को जलाने से क्या परिणाम सामने आए हैं। इसका अध्ययन कराया जाना जरूरी है। कचरा पीथमपुर ही क्यों लाया जा रहा है। अगर इसमें कुछ नहीं है तो भोपाल में भी नष्ट किया जा सकता है।
यह कहना है पीथमपुर में रासायनिक कचरा जलाए जाने का विरोध कर रहे डॉक्टर्स का। उन्होंने इसके गंभीर परिणामों की जांच के बगैर या रिसर्च के बारे में जानकारी नहीं देने को गलत बताया है। इन सभी रिपोर्ट को अब डॉक्टर्स कोर्ट के सामने भी प्रस्तुत करेंगे।
डॉक्टर्स के अनुसार, भोपाल आपदा के बाद कैंसर पर केस स्टडी हो चुकी है। साथ ही कार्सिनोजेनिक जोखिम मूल्यांकन के लिए आणविक जैवडोसिमेट्री, जीवित बचे लोगों में आणविक जैव-डोसिमेट्री व पर्यावरण प्रदूषक का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव पर समीक्षा भी की जा चुकी है, जिसमें उनके दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिमों का आकलन किया है। साथ ही खतरनाक अपशिष्ट और कैंसर निपटान स्थलों के पास रहने वाली आबादी का विश्लेषण किया जा चुका है। कार्बनिक प्रदूषक और कैंसर आदि पर अध्ययन शामिल है। कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर एसके नैय्यर ने बताया, इस दस्तावेजों में औद्योगिक आपदाओं के बचे लोगों में कैंसर के बढ़ते जोखिम संबंधित कई अध्ययन शामिल हैं। ऐसे में पीथमपुर में रासायनिक कचरा जलाए जाने पर रोक लगना चाहिए।
भोपाल गैस कांड से लेकर अब तक कई रिपोर्ट प्रस्तुत हुई है, जो उसके प्रभाव को बता रही है। सरकार बोल रही है कि कुछ नहीं होगा, उसमें कोई हानिकारक रासायनिक तत्व नहीं है, लेकिन रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं हो रही। अगर कुछ नहीं है तो 126 करोड़ खर्च करके पीथमपुर क्यों लाया जा रहा है। उसे वहीं रहने दिया जाए। अब हम इन रिपोर्ट को कोर्ट में प्रस्तुत करेंगे।
- डॉ. संजय लोंढे
डिस्पोज की प्रक्रिया का एसओपी नहीं बताया जा रहा। इंटरनेशनल नॉ्स से तुलना को लेकर भी कोई प्रक्रिया नहीं बताई जा रही। उससे कुछ नहीं होगा, इसका प्रूफ क्या है। इसकी स्टडी भी हो। एजेंसी कौन सी होगी जो जांच करेगी, यह भी निर्धारण हो। यह पीथमपुर की ही बात नहीं, इंदौर के भी लोग चिंतित हैं।
- डॉ. विनीता कोठारी
कचरे की जांच बताई जा रही है लेकिन यह नहीं बताया जा रहा है कि जो डेढ़ सौ टन गढ़ा हुआ कचरा है, उसमें क्या है। यह भी एक बड़ा सवाल है। इससे 60 से 80 किलोमीटर का दायरा प्रभावित हो सकता है। यह अभी नहीं तो बाद में नजर आ सकता है। वेस्ट को नष्ट करने के बाद जो प्रोडक्ट निकलेगा या बचेगा उस पर क्या स्टडी हुई, यह किसी ने नहीं बताया।
- डॉ. एसके नैय्यर