भोपाल

कैग की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, एमपी में चल रहा मौत का खेल, जानें क्या है मामला?

MP News: विकास के नाम पर तेजी से हो रहे निर्माण कार्य, श्रमिक और कामगारों की सुरक्षा ताक पर, कैग की रिपोर्ट2024 में खुलासा होने के बाद जिम्मेदार चुप....

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Mar 24, 2025

MP News: डॉ. दीपेश अवस्थी. एमपी में विकास के नाम पर तेजी से नए निर्माण हो रहे हैं। निर्माण स्थलों पर श्रमिक और कामगारों की सुरक्षा ताक पर है। शासन ने कामगारों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए नियम तो सख्त बनाए हैं, लेकिन इसका पालन करने और कराने वाले आंखें मूंदें बैठे हैं। निजी ही नहीं, सरकारी स्तर पर हो रहे निर्माणों में भी एजेंसियां सरकार के नियमों का पालन नहीं कर रहीं। श्रम विभाग भी ऐसे निर्माणस्थलों को लेकर पूरी तरह उदासीन है।

विभाग के जिम्मेदारों को निर्माण स्थलों पर निर्माण शुरू होने से पहले सुरक्षा उपायों को देखने का प्रावधान है। निरीक्षण कर पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने का नियम है, पर 2017 से अब तक किसी भी निर्माण से पहले जिम्मेदारों ने सुरक्षा पुख्ता करने की कवायद नहीं की।

चौंकाने वाली बात यह है कि घटना-दुर्घटना में कामगारों के जान गंवाने के बाद निरीक्षक या जिम्मेदार पहुंच रहे हैं। नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) की 2024 की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। यह रिपोर्ट हाल में ही विधानसभा में पेश हुई है। इस रिपोर्ट के बाद जिम्मेदारों ने चुप्पी साध ली है।

झाबुआ में रविवार को निर्माणाधीन भवन की छत गिरी। मलबे में दबने से श्रमिक प्रकाश प्रजापत, लालू परमार की मौत हो गई। 3 घायल हैं। यहां भी सुरक्षा संबंधी उपाय नहीं थे।

यह है नियम

निर्माण एजेंसियों को दुर्घटना में हुई जनहानि की सूचना चार घंटे में देनी है। सूचना मिलने के 15 दिन मे जांच करने का प्रावधान है। एजेंसियों को निर्माण स्थल पर सुरक्षा के लिए रस्सियां, सेफ्टी बेल्ट, सुरक्षा जाल, हेलमेट आदि उपलब्ध कराना भी जरूरी है।

5 शहरों में 16 एजेंसियां, रजिस्टर्ड 15 भी नहीं थीं

कै ग ने पांच औद्योगिक क्षेत्रों भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर और सिंगरौली की जांच की तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। पांचों औद्योगिक क्षेत्रों के औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा कार्यालयों के निरीक्षण रिपोर्ट की जांच में पता चला कि 2017-18 से 2021-22 तक निर्माण स्थलों पर दुर्घटनाओं में 18 कामगारों की मौत हुई। यहां सुरक्षा में कई कमियां थीं। खास यह है कि 16 निर्माण एजेंसियों में 15 रजिस्टर्ड नहीं थीं। एजेंसियों ने नियमानुसार, औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा कार्यालयों को सूचना तक नहीं दी। हैरत यह है कि अफसरों ने अखबार व अन्य स्रोतों से मिली सूचना के बाद संज्ञान लिया।

दुर्घटना के बाद भी जांच नहीं

● रिपोर्ट के अनुसार, भोपाल में एक ही एजेंसी के निर्माण स्थल पर दूसरी बार हादसा हुआ। कामगार की मौत हुई। लेकिन जिम्मेदारों ने जांच की नहीं की।

● रिपोर्ट में कहा गया, औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा कार्यालयों के उप निदेशकों ने बताया कि घटना होने पर ही उन्होंने निर्माण स्थलों का निरीक्षण किया।

● बीओसीडब्ल्यू अधिनियम 2002 के मानदंडों के अनुसार निर्माण एजेंसियों के पास सुरक्षा संबंधी जांच का सिस्टम नहीं है। शासन ने भी संतोषप्रद जवाब नहीं दिया।

इन मामलों में हादसे से पहले कोई जांच नहीं

घटना - निर्माण एजेंसी - मृतक

23 अगस्त 2022 - शास. उमावि जबलपुर - महेंद्र बर्मन, राजेंद्र चौधरी

20 मई 2021 - मल्टी स्टोरी जबलपुर - बृजेश गठेरिया

3 अक्टूबर 2021 - पीएम आवास योजना ग्वालियर - बाबू आदिवासी

25 दिसंबर 2021 - फैक्ट्री मंडला - फूल सिंह झारिया

12 फरवरी 2020 - भोपाल स्मार्ट सिटी - राजू मेधा

7 जनवरी 2019 - पानी की टंकी तिलहरी, जबलपुर - राजकुमार शाह

28 जनवरी 2019- जिला अस्पताल, छिंदवाड़ा - रमीला

13 जुलाई 2019 - मंटेना बहुती सुरंग सिंगरौली - सिसरा बसोई

16 अप्रेल 2018 - मल्टीस्टोरी होटल तिवाराघाट रोड जबलपुर - वितनय बारी, सुनीता दुबे

16 अप्रेल 2018 - मल्टीस्टोरी ड्राईटेक पांढुर्णा - आकाश वाघेला

22 मई 2018 - दवा बाजार, शास्त्री ब्रिज जबलपुर - रानी बाई

21 अप्रेल 2018 - बी जोन बिजनेस स्पेस इंदौर - रेजाज मंडल

15 जुलाई 2018 - आनंद ग्रीन इंदौर - देवी सिंह

9 जुलाई 2018 - एंथेना जयपुर सोलर पोलर सिंगरौली - कुश कुमार

6 फरवरी 2017 - मल्टीस्टोरी भवन प्रेमनगर, जबलपुर - दीपक पासी24/03/2025


Updated on:
24 Mar 2025 02:03 pm
Published on:
24 Mar 2025 01:53 pm
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