salary revision fraud in MP वेतन पुनरीक्षण पर बड़ा अपडेट सामने आया है। मध्यप्रदेश सरकार यह काम नियमानुसार नहीं कर रही है।
मध्यप्रदेश में सरकारी अमले में असंतोष तेजी से बढ़ रहा है। कई मुद्दों पर कर्मचारी मुखर हो रहे हैं। वेतनमान, क्रमोन्नतियों और एरियर का लाभ नहीं दिए जाने से कर्मचारी, अधिकारी खुलकर नाराजगी जता रहे हैं। सरकारी अमले का गुस्सा देख कई जिलों में कलेक्टर ने एरियर आदि की राशि में विलंब करने पर संबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई भी की। समुचित वेतन और एरियर आदि को लेकर प्रदेश के आउटसोर्स और अस्थाई कर्मचारियों ने तो बाकायदा आंदोलन छेड़ दिया है। इस बीच वेतन पुनरीक्षण पर बड़ा अपडेट सामने आया है। मध्यप्रदेश सरकार यह काम नियमानुसार नहीं कर रही है। आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने राज्य सरकार पर यह आरोप लगाया है।
पुनरीक्षित न्यूनतम वेतन देने और नौकरी में सुरक्षा की मांग को लेकर आउटसोर्स एवं अस्थाई कर्मचारियों ने सोमवार को छिंदवाड़ा से आंदोलन शुरु कर दिया। मुख्यमंत्री और श्रम मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपने कर्मचारियों ने कलेक्टोरेट तक रैली निकाली। सभी कर्मचारियों ने सड़क पर ही बैठकर अपनी मांगों के समर्थन में जोरदार नारेबाजी की। मंगलवार को राज्यभर में जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया जाएगा।
आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारी संयुक्त मोर्चा मध्यप्रदेश के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लाखों कर्मचारियों, श्रमिकों के साथ वेतन के मामले में बड़ी धोखाधड़ी की जा रही है। नियमानुसार हर 5 साल में वेतन पुनरीक्षण करना जरूरी है लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा। 2019 में पुनरीक्षित न्यूनतम वेतन एमपी सरकार ने अप्रैल 2024 से लागू किया। अब 2024 में राज्य सरकार को पुन:न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण करना चाहिए।
संयुक्त मोर्चा के मुताबिक राज्य सरकार स्वयं के द्वारा निर्धारित किया वेतन भी नहीं दे रही है। पंचायतों के पंप आपरेटर, भृत्य, चौकीदारों, अंशकालीन या अस्थाई कर्मचारियों को महज 3 से 5 हजार रुपए मासिक वेतन दिया जा रहा है। जबकि
अकुशल श्रमिक के लिए न्यूनतम वेतन 11800 रुपए तय किया गया है।
मोर्चा के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने अप्रैल-24 से लागू पुनरीक्षण न्यूनतम वेतन एरियर सहित देने और 2024 में होने वाले न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण की प्रक्रिया तत्काल शुरू करने की भी मांग की।