RI bribe case ऊपरी कमाई का हिस्सा पटवारी से लेकर आरआई, तहसीलदार तक बराबर बंट रहा है।
एमपी में तहसीलों में रिश्वतखोरी आम बात है। तहसील कार्यालयों में बिना रिश्वत दिए कोई भी काम नहीं होता। जमीन के सीमांकन, नामांकन आदि के काम में हजारों-लाखों के वारे-न्यारे किए जा रहे हैं। ऊपरी कमाई का हिस्सा पटवारी से लेकर आरआई, तहसीलदार तक बराबर बंट रहा है। प्रदेश के सीधी जिले की मझौली तहसील से पटवारी, आरआई, तहसीलदार की ऊपरी कमाई का यह राज खुला है।
सीधी में एक राजस्व अधिकारी यानि आरआई के रिश्वतखोरी की बातचीत सामने आई है। आरआई नामांकन समेत अन्य कामों के लिए 15 हजार रुपए की मांग कर रहे हैं जबकि किसान इसके लिए 12 हजार रुपए देने की बात कह रहा है। खास बात यह है कि आरआई साफ कह रहा है कि इसमें तहसीलदार और पटवारी का भी हिस्सा है।
आरआई सीमांकन के लिए 15 हजार रुपए की रिश्वत मांग रहा है। वह किसान से कह रहा है—
‘15 हजार रुपए दो… इसमें तहसीलदार, पटवारी और मेरा भी हिस्सा है।’ किसान 12 हजार रुपए देने को तैयार है पर आरआई अड़ा है।
मझौली के रिश्वत मांग रहे आरआई पर एक बार लोकायुक्त कार्रवाई भी हो चुकी है। इसके बाद भी उनकी रिश्वतखोरी की लत खत्म नहीं हुई। राजस्व विभाग ने भी उन्हें दोबारा यह दायित्व दे दिया।
यह तथ्य भी सामने आ रहा है कि राजस्व विभाग के कर्मचारी अधिकारी किस हद तक कमा रहे हैं। सीमांकन के जरा से काम के लिए 15 हजार रुपए की रिश्वत ली जा रही है तो अन्य बड़े और विवादित कामों में कितनी राशि ली जाती होगी, यह समझा जा सकता है। बहरहाल, मझौली के लोग अब इस आरआई पर विभागीय कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं।