Dengue havoc in MP : मध्य प्रदेश में डेंगू का कहर तेजी से बढ़ रहा है। सितंबर के पहले हफ्ते में ही यहां एक्टिव केसेज की संख्या 600 के पार जा पहुंची, जो अब भी लगातार बढ़ रही है।
Dengue havoc in MP :मध्य प्रदेश में जारी बारिश के दौर के बीच बीमारियों का कहर भी बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग प्रदेश में पूरी तरह सक्रिय हैं, लेकिन बीमारियां रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रदेश के इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर समेत कई जिलों में डेंगू के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। बारिश के मौसम में जगह-जगह पानी का जमाव हो रहा है, जिससे डेंगू, मलेरिया, डायरिया की बीमारियां बढ़ रही हैं। बीमारी को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग ड्रोन सर्वे, दवाइयों का छिड़काव और स्कूल और कॉलोनियों में जाकर लोगों को जागरूक करने का काम भी कर रहा है।
मध्यप्रदेश में जूलाई में डेंगू के 505 केस मिले थे, जो अगस्त में बढ़कर 950 हो गए। वहीं, सितम्बर के पहले सप्ताह में प्रदेश में डेंगू से पीड़ित मरीजों की संख्या 600 के पार हो चुकी है।
लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार इस साल सबसे ज्यादा डेंगू के केस प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर से मिले है। वहीं इंदौर के बाद ग्वालियर व रीवा शहर से सबसे ज्यादा मरीज अभी तक मिल चुके है। साल की शुरुआत से अब तक 2800 केस दर्ज किए गए है।
निजी अस्पतालों में अधिकतर जांच रैपिड किट से की जा रही है। इससे पॉजिटिव आने वाले रोगियों को सरकार संक्रमितों में भी शामिल नहीं करती। इन्हें भी मिला लिया जाए तो प्रदेश में डेंगू मरीजों की संख्या सरकारी आंकड़ों से लगभग डेढ़ गुना हो सकती है।
वहीं, केंद्र सरकार के दिशानिर्देश के अनुसार, रैपिड किट से होने वाली जांच में रोगी के संक्रमित पाए जाने के बाद भी उसे पीड़ित नहीं माना जाता। नगरीय निकाय और स्वास्थ्य विभाग भी उन्हीं पीड़ितों के घर के आसपास मच्छरों के रोकथाम करता है जो एलाइजा जांच में पॉजिटिव आते हैं, ना कि रैपिड किट से।
-खरोंच
-आपकी आँखों के पीछे तीव्र दर्द होना
-मतली या उलटी
-मांसपेशियों , हड्डियों और जोड़ों में दर्द ।
अपने लक्षणों को नियंत्रित करना ही डेंगू बुखार का इलाज करने का एकमात्र तरीका है। अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता की सिफारिशों का पालन करें, जिनमें शामिल हो सकते हैं।
-पर्याप्त मात्रा में पानी और तरल पदार्थ पीकर अपने आप को हाइड्रेटेड रखें।
-जितना संभव हो उतना आराम करें।