भोपाल

3 सीटों को छोड़कर यहां दिग्गजों के गढ़ में तक कम हुई वोटिंग, एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ रही भाजपा-कांग्रेस

voting percent reduce in loksabha election 2024 : सिर्फ विदिशा-राजगढ़-गुना में ही बना रेकॉर्ड, दिग्गजों के गढ़ में ही कम रहा मतदान। कम वोटिंग के लिए कांग्रेस-भाजपा एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ रही है। पर सच्चाई ये...मुकाबले रोचक होते तो बूथ तक ज्यादा जाते वोटर।

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लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मध्य प्रदेश में चारों चरणों के मतदान संपन्न हो चुके हैं। नेताओं की किस्मत ईवीएम में लॉक है, पर वोटिंग प्रतिशत ही राजनीतिक दल और चुनाव आयोग की धुरी बना रहा। सूबे की विदिशा, राजगढ़ और गुना सीट को छोड़ दिया जाए तो प्रदेश की शेष 26 सीटों पर पिछले चुनाव से कम मतदान हुआ है। इन सीटों पर 1 से लेकर 13 फीसदी तक कम वोटिंग हुई। हालांकि, सांसद से विधायक बनीं संध्या राय की सीट भिंड में 0.51 फीसदी की बढ़ोतरी जरूर हुई।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो भाजपा के कई दिग्गज अपने गढ़ में ही वोटिंग कराने में सफल नहीं हुए। खजुराहो, सीधी, शहडोल, रीवा में 10 फीसदी से ज्यादा कमी हुई। गिरे मतदान का ठीकरा भाजपा- कांग्रेस एक-दूसरे पर फोड़ रही है। जानकार बताते हैं कि, इसके लिए दोनों ही दल बराबर के हिस्सेदार हैं। विदिशा, राजगढ़ और गुना के आकलन से साफ है कि यहां दोनों दलों ने मतदाताओं की पसंद के प्रत्याशी उतारे तो रेकॉर्ड वोटिंग हुई। बाकी 26 सीटों पर भी साफ-स्वच्छ प्रत्याशी होते तो वोटिंग प्रतिशत और अच्छा होता।

भाजपा के कब्जे की सीटों पर 13% तक कम वोटिंग

नाम--------------सीट------------2019---------2024----------अंतर
वीडी शर्मा------खजुराहो---------68.28--------56.96---------11.32 फीसद
रीति पाठक-----सीधी------------69.50---------56.50--------13.00 फीसद
हिमाद्री सिंह----शहडोल---------74.73---------64.68---------10.65 फीसद
जनार्दन मिश्रा---रीवा------------60.30---------49.42---------10.91 फीसद

इन नेताओं की सीट पर भी अधिक वोटिंग नहीं

सीट----------------कांग्रेस-----------भाजपा--------------2019---------2024---------अंतर

छिंदवाड़ा----------नकुलनाथ--------विवेक बंटी साहू---82.39%----79.83%----- -2.56%
मंडला-------------ओमकार----------फग्गन सिंह-------77.76%-----72.84%---- -4.92%
रतलाम-----------कांतिलाल---------अनिता सिंह-------75.66%-----72.94%---- -2.72%

क्या कहते हैं जानकार ?

इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक मामलों के जानकार महेश श्रीवास्तवका कहना है कि जब दल और उसके नेता उम्मीद के अनुसार आचरण नहीं करते। पसंद का प्रत्याशी नहीं देते तो मतदाताओं का उत्साह कम होता है। इसका असर वोटिंग पर दिखता है। दलों को खुद में सुधार करना चाहिए।

भाजपा ने जिन सांसदों के टिकट काटे, उनमें से तीन पर ही ज्यादा वोटिंग

सांसद-------------लोकसभा सीट-------2019 वोटिंग%----2024 वोटिंग%-------अंतर
प्रज्ञा सिंह ठाकुर-------भोपाल------------65.70------------64.06---------------1.64% कम
केपी यादव--------------गुना--------------70.32-------------72.43---------------2.11% ज्यादा
छतरसिंह दरबार--------धार--------------75.25-------------72.76---------------2.49% कम
रमाकांत भार्गव---------विदिशा-----------71.79-------------74.48--------------2.69% ज्यादा
गुमाम सिंह डामोर-----रतलाम-----------75.66-------------72.94--------------2.72% कम
विवेक शेजवलकर------ग्वालियर----------59.78-------------62.13--------------2.35% कम
राजबहादुर सिंह---------सागर-------------65.51-------------65.75--------------0.24% ज्यादा
ढाल सिंह बिसेन-------बालाघाट----------77.61-------------73.45--------------4.16% कम

खजुराहो-इंदौर की घटनाओं को वोटरों ने रखा याद

कांग्रेस ने खजुराहो सीट गठबंधन में समाजवादी पार्टी (सपा) को दी। सपा प्रत्याशी का यहां पर्चा ही निरस्त हो गया। वहीं, इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय बम ने नाम वापस ले लिया और भाजपा में शामिल हो गए। जानकार बताते हैं, ये दोनों मामले मतदाताओं ने याद रखे और यहां वोटिंग घट गई।

Published on:
15 May 2024 08:47 am
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