5000 km vulture journey: पाकिस्तान, अफगानिस्तान, उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान की लंबी उड़ान भरी। इसके बाद 23 सितंबर को उसने भारत की ओर वापसी शुरू कर दी थी...।
15000 km vulture journey: 15 हजार किलोमीटर की रोमांचक यात्रा पूरी कर जियो-टैग वाला यूरेशियन ग्रिफिन गिद्ध ‘मारीच’ वापस भारत लौट आया। भोपाल के पास स्थित हलाली डेम से छोड़े गए इस गिद्ध को वन विहार की टीम ने 29 जनवरी को सतना जिले के नागौद गांव से घायल अवस्था में बचाया था। प्राथमिक इलाज के बाद उसे मुकुंदपुर चिड़ियाघर और फिर वन विहार बचाव केंद्र लाया गया, जहां दो महीनों की देखभाल के बाद 29 मार्च को जियो-टैग लगाकर मुक्त किया गया।
‘मारीच’ ने मुक्त होने के बाद पाकिस्तान, अफगानिस्तान, उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान की लंबी उड़ान भरते हुए मई के पहले सप्ताह में कजाकिस्तान पहुंचा और लगभग चार महीने तक वहीं रहा। इसके बाद 23 सितंबर को उसने भारत की ओर वापसी शुरू की और 16 अक्टूबर को राजस्थान के धौलपुर जिले (Rajasthan Dholpur) में प्रवेश कर गया। फिलहाल वह दमोह झरना क्षेत्र में विचरण कर रहा है।
वन विहार अधिकारियों के अनुसार, ‘मारीच’ की विस्तृत ट्रैकिंग से गिद्धों के प्रवास पैटर्न, व्यवहार और संरक्षण रणनीतियों को समझने में महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। लंबे प्रवास करने वाली प्रजाति होने के कारण इन गिद्धों को ट्रैक करना संरक्षण के लिए बेहद उपयोगी है।
यूरेशियन ग्रिफिन गिद्ध की लंबाई 95 से 110 सेंटीमीटर और पंखों का फैलाव 2.5 से 2.8 मीटर तक होता है। इसकी पहचान गर्दन के सफेद पंखों की माला और भूरे पंखों वाले विशाल शरीर से की जाती है। इसे ‘प्रकृति का सफाईकर्मी’ कहा जाता है, क्योंकि यह मृत जानवरों को खाकर पर्यावरण को स्वच्छ रखने में अहम भूमिका निभाता है।