भोपाल

भाजपा जिला अध्यक्षों की सूची जारी होने से पहले आंतरिक घमासान, सांसद बंटी के सुझाए नाम पर लामबंद नेता

MP BJP District Presidents List: संगठन ने 45 से ज्यादा जिला अध्यक्षों के नाम पर सहमति बना ली है, लेकिन बाकी बचे जिन जिलों में सहमति नहीं बन पा रही, वहां खींचतान और तेज होती जा रही है

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Jan 05, 2025

MP BJP District Presidents List: भाजपा जिला अध्यक्षों की पहली सूची जारी होने से पहले आंतरिक घमासान अब और बढ़ गया है। यूं तो संगठन ने 45 से ज्यादा जिला अध्यक्षों के नाम पर सहमति बना ली है, लेकिन बाकी बचे जिन जिलों में सहमति नहीं बन पा रही, वहां खींचतान और तेज होती जा रही है। ऐसा ही विवाद अब छिंदवाड़ा को लेकर सामने आया है। यहां कांग्रेस से भाजपा में आकर सांसद बने विवेक साहू बंटी और पुराने भाजपा नेताओं के बीच जिला अध्यक्ष को लेकर विवाद जैसी स्थिति है। दरअसल, सांसद ने जिला अध्यक्ष के लिए टीकाराम चंद्रवंशी का नाम आगे बढ़ाया है।

इस नाम को लेकर छिंदवाड़ा के पुराने भाजपा नेता लामबंद हो गए हैं। पत्रिका ने छिंदवाड़ा के एक पूर्व विधायक से चर्चा की और पार्टी के एक अन्य बड़े नेता से विवाद समझना चाहा तो उन्होंने दावा किया कि चंद्रवंशी का नाम पैनल में सबसे ऊपर भेजा गया है, जबकि उस पर गबन, 420 के प्रकरण दर्ज है। वह हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत पर है। यदि ऐसे व्यक्ति को अध्यक्ष बनाया जाता है तो यह संगठन के नियमों के खिलाफ होगा। जब सांसद बंटी से इस मामले को लेकर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

सागर के नेताओं में तालमेल की कोशिश

सागर के वरिष्ठ नेताओं के बीच भी जिला अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर आम सहमति अभी तक नहीं बन पाई है। लेकिन दिग्गजों के बीच सहमति बनाने के लिए लगातार सत्ता और संगठन स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। शनिवार को प्रदेश भाजपा मुख्यालय में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के बीच बंद कमरे में चर्चा हुई। वीडी से मुलाकात के बाद गोविंद सिंह ने कहा कि संगठन के समक्ष अपनी बात रख दी है। अब जो होगा अच्छा ही होगा। दो दिन पहले पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव से भी वीडी की चर्चा हुई थी।

टीकाराम ने कहा- फर्जी केस बनाया

पत्रिका से चर्चा में टीकाराम ने कहा, प्रकरण राजनीतिक द्वेषता के कारण फर्जी बनाया गया है। चूंकि सहकारी समिति का मामला है, इसलिए न्यायालय उपपंजीयक सहकारी संस्था में अपिल की थी। न्यायलय ने माना है कि गेहूं खरीदी में संचालक मंडल के सदस्यों का सीधा हस्तक्षेप नहीं होता। संस्था कर्मचारी ही दिन-प्रतिदिन का कार्य करते हैं। यही प्रकरण विचाराधीन है। माना जाता है कि जब तक कोर्ट किसी को दोषी करार न दे, तब तक वह दोषी नहीं माना जाता।


Published on:
05 Jan 2025 10:08 am
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