MP News: जो लोग वाट्सऐप, ई-मेल का उपयोग नहीं करते, उनके लिए मौजूदा व्यवस्था रहेगी। यानी मैनुअली समन, वांरट भेजकर तामीली कराई जाएगी। इसके लिए पुख्ता सिस्टम रहेगा।
MP News:मध्यप्रदेश में अब वाट्सऐप, ई-मेल पर कोर्ट के समन और वारंट मिलेंगे। पुलिस इन्हें तामील कराएगी। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के तहत इलेक्ट्रॉनिक पद्धति को शामिल करने के बाद मध्यप्रदेश ने इसका पालन करते हुए नियम तैयार किए। राजपत्र में प्रकाशन के साथ ही लागू कर दिया गया है।
इससे समय और श्रम की बचत भी होगी। नए नियमों के तहत न्यायालय इलेक्ट्रॉनिक पद्धति से आदेश जारी कर सकेगा, जिसे पुलिस अधिकारी द्वारा तामील कराना होगा। इस पर डिजिटल हस्ताक्षर होंगे। इलेक्ट्रॉनिक रूप से जनरेट समन-वारंट में न्यायालय की मुद्रा की छवि भी होगी।
गिरफ्तारी का प्रत्येक वारंट, न्यायालय के पीठासीन अधिकारी के इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर द्वारा जारी किया जाएगा। पुलिस थाने का जिम्मेदार अधिकारी सुनिश्चित करेगा कि आरोपी या गवाहों द्वारा उपयोग किया गया पता, ई-मेल, फोन नंबर लिए जाएं। रिकार्ड में रखा जाए।
अभी तक समन और वांरट की तामीली के लिए पुलिस को संबंधितों के घर जाना पड़ता है। कई बार व्यक्ति के न मिलने पर तामीली में देर होती है। अब ऐसा नहीं होगा। लोगों के घर नहीं जाना पड़ेगा। इससे समय और मैनपावर की बचत होगी। पुलिसिंग में सुधार होगा। समन-वारंट तामील एक क्लिक में होने से सुनवाई में होने वाली देरी से निजात मिलेगी। न्याय प्रक्रिया तेज होगी।
जो लोग वाट्सऐप, ई-मेल का उपयोग नहीं करते, उनके लिए मौजूदा व्यवस्था रहेगी। यानी मैनुअली समन, वांरट भेजकर तामीली कराई जाएगी। इसके लिए पुख्ता सिस्टम रहेगा। नई व्यवस्था लागू करने से पहले खंडवा जिले में करीब एक साल पहले पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया था। सफल होने पर राज्य के 10 जिलों में लागू किया गया। यहां भी सफल होने पर राज्य में लागू किया जा रहा है।
आदेश में कहा गया है कि संबंधित व्यक्ति को ईमेल, वाट्सऐप इत्सादि पर भेजे गए समन-वारंट तब तक मान्य नहीं होंगे तब तक वहां से वापसी संदेश न आ जाए। इसमें रिटर्न टू सेंडर मैसेज या फिर एरर इत्यादि जैसे संदेश हो सकते हैं। यदि ऐसे संदेश नहीं आते तो उसे मान्य नहीं किया जाएगा। और फिर इसका प्रिंट आउट निकालकर वारंट-समन को तामील कराया जाएगा।