Stree Deh Se Aage: पत्रिका समूह के प्रधान संपादक डॉ. गुलाब कोठारी की पुस्तक 'स्त्री : देह से आगे' पर विशेष संवाद के दौरान स्त्री के अस्तित्व, दिव्यता और उसकी महत्ता पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विचार साझा किए...।
Stree Deh Se Aage: पत्रिका समूह के प्रधान संपादक डॉ. गुलाब कोठारी ने बुधवार को भोपाल में एलएनसीटी यूनिवर्सिटी में ‘स्त्री: देह से आगे’ विषय पर विशेष संवाद किया। संवाद करते हुए डॉ. गुलाब कोठारी ने कहा कि मां पेड़ की तरह होती है जो कभी अपने लिए नहीं जीती बल्कि हमेशा दूसरों के लिए जीती है कभी अपने बच्चों के लिए तो कभी अपने पति के लिए तो कभी अपने सास-ससुर के लिए। इसलिए वो साधारण नहीं है और उसके बगैर समाज या देश कैसा होगा इसकी कल्पना करना मुश्किल है।
‘स्त्री: देह से आगे’ विषय पर हुए विशेष संवाद के दौरान डॉ. गुलाब कोठारी ने कहा कि सृष्टि का एक नियम है जो बीज अपने फल खाना चाहता है वो पेड़ नहीं बन सकता। बीज को पेड़ बनना है ये उसकी सार्थकता है और बिना पेड़ बने सड़ जाना है मर जाना है तो उसके जीवन का अनर्थ है। लेकिन पेड़ बनने के लिए हर बीज को जमीन में गड़ना पड़ेगा। ये बीज ही मां है जो फल लगाती है लेकिन कभी खुद नहीं खाती, उसके फल उसकी अगली पीढ़ियां खाती हैं। उसकी छाया में उसके बच्चे पलते बढ़ते हैं। मैंने कभी आज तक किसी मां को अपने लिए जीते नहीं देखा इसलिए वो कोई साधारण हस्ती नहीं हो सकती है।
डॉ. गुलाब कोठारी ने ‘स्त्री: देह से आगे’ विशेष संवाद कार्यक्रम के दौरान ये भी बताया कि स्त्री के बिना पुरूष कभी पूरा नहीं हो सकता। वही ब्रह्म को पुरुष के शरीर से लाकर उसे अपने शरीर में आहूत करती है और उसका निर्माण करती है। स्त्री ही है जो उस आहूत किए हुए ब्रह्म को संस्कारित करती है और फिर बाद में वही उस पुरुष के साथ मोक्ष गामी होती है। इस तरह से पुरुष के जीवन चक्र भी स्त्री के हाथ में होता है और उसी के साथ पूरा होता है।