कुलगुरु डॉ. गर्ग ने कहा कि यह एमओयू किसानों और विद्यार्थियों दोनों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
कृषि शोध, शिक्षा, नवाचार और तकनीक हस्तांतरण को मजबूती देने के लिए स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय (एसकेआरएयू) और केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) जोधपुर ने एक महत्वपूर्ण समझौता कर नए अध्याय की शुरुआत की है। दोनों संस्थानों के बीच मंगलवार को एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। कुलगुरु डॉ. अखिल रंजन गर्ग और काजरी निदेशक डॉ. एसपीएस तंवर की मौजूदगी में हुए इस समझौते को भविष्य की कृषि जरूरतों के अनुरूप एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है।
किसानों और विद्यार्थियों के लिए मील का पत्थर
कुलगुरु डॉ. गर्ग ने कहा कि यह एमओयू किसानों और विद्यार्थियों दोनों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप संयुक्त कार्य मॉडल से शोध और प्रयोगों के परिणाम सीधे किसानों तक पहुंच सकेंगे। इससे एआई आधारित मौसम सूचना, बीमारी रोकथाम और उपचार के डिजिटल मॉडल, साझा रिसर्च के जरिए तकनीक का तेज हस्तांतरण संभव होगा। इन बिंदुओं पर विशेष रूप से काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक कॉमन रिसर्च प्रोग्राम बनाकर इसका लाभ अधिकतम किसानों तक पहुंचाना लक्ष्य रहेगा।
नई चुनौतियों से निपटने की तैयारी
काजरी निदेशक डॉ. एसपीएस तंवर ने कहा कि बदलते जलवायु और कृषि चुनौतियों को देखते हुए यह साझेदारी समय की जरूरत है। सूखा प्रभावित क्षेत्रों में खेती की नई तकनीक विकसित करने और उन्हें किसानों तक पहुंचाने में यह समझौता अहम भूमिका निभाएगा।
संसाधन और तकनीक साझा करने का अवसर
कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. पीके यादव ने बताया कि एमओयू से दोनों संस्थान अपने-अपने संसाधन साझा कर सकेंगे। पीएचडी और एमएससी के विद्यार्थियों को उन्नत शोध सुविधाएं मिलेंगी। कृषि वैज्ञानिकों को साझा लैब और प्रायोगिक संसाधनों का व्यापक उपयोग करने का अवसर मिलेगा।