बीकानेर

इस दीपावली खूब कीजिए खरीदारी… क्रेडिट कल्चर का त्योहारी बूम, बाजार में ‘ऑफर इकॉनमी’ की धूम

पर्स में नकदी कम, मोबाइल में कार्ड ऐप ज्यादा दिख रहे है। त्योहारी बिक्री में अब नकदी की हिस्सेदारी घट रही है और फाइनेंस व क्रेडिट कार्ड का दबदबा तेजी से बढ़ा है।

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Oct 12, 2025

दीपावली से पहले बीकानेर हो राज्य के अन्य टू टीयर शहर। सभी जगह इन दिनों खासतौर पर त्योहारी सीजन में खुदरा बाजार में खासी रौनक पर है। दिन भर की रफ्तार शाम होते-होते चरम पर पहुंच जाती है। रोशनी से जगमग बाजारों में ग्राहक मानो उमड़ पड़ते हैं। हालांकि, इस बार खरीदी का चेहरा बदला हुआ है। पर्स में नकदी कम, मोबाइल में कार्ड ऐप ज्यादा दिख रहे है। त्योहारी बिक्री में अब नकदी की हिस्सेदारी घट रही है और फाइनेंस व क्रेडिट कार्ड का दबदबा तेजी से बढ़ा है। दुकानदारों के अनुसार, 5 हजार से लेकर 1 लाख तक के प्रोडक्ट्स में 60 फीसदी से ज्यादा बिक्री अब क्रेडिट कार्ड या फाइनेंस स्कीम पर हो रही है। यह ट्रेंड पूरे प्रदेश में खासतौर से टीयर टू के शहरों में दिख रहा है।

डिजिटल पेमेंट ने दीनई उड़ान

डिजिटल पेमेंट और आसान फाइनेंस सुविधा ने बाजार की रफ्तार को और बढ़ाया है। शोरूम संचालकों के अनुसार, इससे बिक्री में 20-25 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। ग्राहक अब बड़ी रेंज के प्रोडक्ट्स टीवी, फ्रिज, मोबाइल या वॉशिंग मशीन की खरीदारी में झिझक नहीं रहे। नकदी जमा कराने की झंझट खत्म, ऑनलाइन ट्रांजेक्शन का भरोसा बढ़ाऔर ऑफर की लुभावनी श्रृंखला तीनों ने मिलकर बाजार को नई दिशा दे दी है।

बाजार का ‘ऑफर इकॉनमी’ ट्रेंड

ऑनलाइन मार्केट को टक्कर देने के लिए ऑफलाइन बाजारों ने भी ऑफर की बौछार कर दी है। शून्य ब्याज ईएमआई, तुरंत अप्रूवल, कैशबैक और गिफ्ट स्कीम अब ग्राहकों के सबसे बड़े आकर्षण बन चुके हैं। बीकानेर के इलेक्ट्रॉनिक शोरूम संचालक शैलेश पित्ती कहते हैं, अब नकद खरीदने वाले ग्राहक गिने-चुने रह गए हैं। 5 हजार से 1 लाख तक की खरीद पर 7.5 से 27.5 प्रतिशत तक कैशबैक मिल रहा है। गिफ्ट अलग से हैं।

ऐसे में ग्राहक नकदी क्यों रखें?

ईएमआई की सुविधा अर्थव्यवस्था, शिक्षा और सेवा क्षेत्र तीनों के लिए वरदान साबित हो रही है। खासतौर पर मध्यम वर्ग के लिए यह सुविधा वरदान साबित हो रही है। सीमित आय वाले उपभोक्ता अब अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओं को संतुलित कर पा रहे हैं। मोबाइल, लैपटॉप, स्मार्ट डिवाइस जैसी चीजें अब विलासिता नहीं, आवश्यकता बन चुकी हैं। ईएमआई ने उनकी जरूरतों में आ रही आर्थिक उपलब्धता की बाधा को जैसे दूर ही कर दिया है। इस सुविधा से उनकी खरीदारी आसान हो गई है। खासतौर पर छात्रों के लिए। फाइनेंस की पहुंच बढ़ने से न सिर्फ खरीदारी बढ़ी है, बल्कि घरेलू खपत में भी सकारात्मक उछाल आयाहै, जो अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत है।

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