Camel Tears Snake Venom Viral Claim: इस पूरे मामले में अब सच से पर्दा उठा है और सामने पहली बार सामने आया है कि इस तरह के तमाम दावे गलत हैं। खुद बीकानेर स्थित संस्थान ने इसका खंडन किया है।
Bikaner NRCC News: आज विश्व सांप दिवस है, ऐसे में राजस्थान से सांप के जहर को लेकर उस दावे से पर्दा उठा रहे हैं जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया पर चली खबरों में दावे किए जा रहे हैं कि ऊंट के आंसू के बीस से ज्यादा जहरीले सांपों के काटने से फैलने वाली विष को काबू करने की दवा बनाने में मदद करते हैं।
सीधे शब्दों में कहें तो ऊंट के आंसू से एंटी वेनम इंजेक्शन बनाए जाते हैं। यह सारा प्रयोग बीकानेर में स्थित नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन कैमल संस्था द्वारा किया जा रहा है…। इस पूरे मामले में अब सच से पर्दा उठा है और सामने पहली बार सामने आया है कि इस तरह के तमाम दावे गलत हैं। खुद बीकानेर स्थित संस्थान ने इसका खंडन किया है।
सोशल मीडिया पर तमाम अधिकतर प्लेटफार्म पर पिछले कुछ महीनों से एक खबर तेजी से वायरल हो रही है कि राजस्थान के बीकानेर शहर में स्थित ऊंटों पर काम करने वाली संस्था ने दुबई के कुछ शोधकर्ताओं की मदद से ऐसी दवा तैयार की है जो देश-दुनिया के 20 से भी ज्यादा जहरीले सांपों का जहर काटने में सक्ष्म है। सबसे बड़ी बात है कि ये दवा ऊंट के आंसुओं से तैयार की जाती है। सवाल उठता है कि ऊंट के आंसु कैसे आते हैं तो सोशल मीडिया पर इसका जवाब है कि ऊंट को जहरीले सांपों का जहर इंजेक्शन की मदद से दिया जाता है और फिर कैमिकल रियेक्शन होता है और ऊंट रोते हैं। इन आंसुओं को वॉयल में रखा जाता है और फिर कई कैमिकल लोचा कर दवा तैयार की जाती है।
एनआरसीसी ने इस पूरे मामले का पूरी तरह से खंडन किया है और सोशल मीडिया के जरिये अपील की है। उन्होनें लिखा है कि एनआरसीसी बीकानेर के संज्ञान में आया है कि सोशल मीडिया आदि के माध्यम से यह भ्रामक जानकारी प्रसारित की जा रही है कि ऊंट के आंसू सर्प विष को निष्क्रीय करने में सक्षम है, एनआरसीसी स्पष्ट करता है कि संस्थान द्वारा ऊंट के आंसुओं से सर्प विष के उपचार हेतु कोई भी अनुसंधान न तो पूर्व में किया गया है और ना ही वर्तमान में चल रहा है। यह संस्थान ऐसी किसी भी अपुष्ट या अप्रमाणित सूचना की पुष्टि नहीं करता । ऐसी भ्रामक सूचनाएं न केवल केंद्र की छवि बल्कि ऊंटों के कल्याण में संरक्षण संबंधी प्रयासों को भी नुकसान पहुंचा सकती है । अतः सभी समाचार पत्रों, कटेंट क्रिएटर, ऊंट पालकों ,पाठकों और नागरिकों से आग्रह है कि वह केवल अधिकृत एवं सत्यापित स्रोतों से प्राप्त जानकारी का ही प्रचार प्रसार करें और किसी भी भ्रामक जानकारी से बचें…। इस सूचना को फेसबुक के जरिये प्रसारित किया जा रहा है।
भारत में ऊंटों पर अनुसंधान के लिए मुख्य रूप से राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र यानी एनआरसीसी की स्थापना की गई है। जो बीकानेर, राजस्थान में स्थित है। इसके अतिरिक्त केंद्रीय ऊंट प्रजनन केंद्र जोधपुर, राजस्थान में भी स्थित है। राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र बीकानेर, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का एक प्रमुख अनुसंधान केंद्र है। यह केंद्र ऊंटों के उत्पादन, स्वास्थ्य और कल्याण पर अनुसंधान करता है। 1984 में इसे ऊंट निदेशालय के रूप में स्थापित किया गया था और 1995 में इसे राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केंद्र के रूप में अपग्रेड किया गया था।