बिलासपुर

Bilaspur Murder Case: चरित्रशंका में पत्नी और अपने 3 मासूम बच्चों की कर दी थी निर्मम हत्या, कोर्ट ने कहा – फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए…

CG High Court: बिलासपुर जिला एवं सत्र न्यायालय ने मर्डर केस के आरोपी को मौत की सजा सुनाई है। शख्स ने अपनी पत्नी और तीन बच्चों का मर्डर किया था।

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Triple murder Case In Bilaspur: बिलासपुर में चरित्रशंका पर रस्सी से गला दबाकर पत्नी और तीन बच्चों की निर्मम हत्या करने वाले पति को जिला न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई है। मामला मस्तूरी क्षेत्र के ग्राम हिर्री का है। प्रकरण में निर्ममता को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि उसकी गर्दन में फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए, जब तक उसकी मृत्यु या प्राणान्त न हो जाए।

हिर्री निवासी उमेंद्र केंवट (34) शादी सुक्रिता केंवट से वर्ष 2017 में हुई थी। उनकी दो बेटियां व एक बेटा थे। तीन बच्चे होने के बाद भी उमेंद्र पत्नी के चरित्र पर शंका करते हुए मारपीट करता था। 1 जनवरी 2024 की रात इसी बात को लेकर पति-पत्नी के बीच विवाद हुआ और उमेंद्र ने रस्सी से गला दबाकर पत्नी की हत्या कर दी। उसके बाद कमरे में सो रहे तीनों बच्चों की हत्या कर दी। हत्याकांड की सूचना पर पुलिस ने आरोपी उमेंद्र को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान प्रस्तुत किया।

दशम अपर सत्र न्यायाधीश अविनाश के. त्रिपाठी ने आरोपी उमेंद्र केंवट को धारा 302 के अंतर्गत चार हत्याओं के अपराध के लिए फांसी की सजा और 10 हजार रुपए अर्थदण्ड की सजा सुनाई है। शासन की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक लक्ष्मीकांत तिवारी, अभिजीत तिवारी ने पैरवी की है।


असहाय और निर्दोष बच्चों की हत्या की, मृत्यृदंड ही उचित कोर्ट ने कहा कि तीन अबोध- असहाय निर्दोष बच्चे, जिनकी हत्या करने का कोई कारण नहीं था। मात्र पत्नी पर एकपक्षीय चरित्रशंका के कारण वह अपने मनुष्य के रूप में जन्म लेने के बाद जीवन जीने का जो अधिकार मिला था, वह प्राप्त नहीं कर सके। आरोपी ने जिस तरह से अपराध किया गया है उसे देखते हुए सजा कम करने का कोई कारण नहीं है। इसलिए उसको मृत्युदंड देना ही समाज के बेहतर हित में उपयुक्त है।

Bilaspur Murder Case: 11 साल पहले रतनपुर के तिहरे हत्याकांड में हुई थी फांसी

इसके पहले तीन बच्चों की हत्या के मामले में 11 साल पहले आरोपी को फांसी दी गई थी। 11 फरवरी 2011 को रतनपुर निवासी मनोज सूर्यवंशी ने पड़ोसी शिवलाल धीवर के तीन बच्चों की हत्या कर शव खेत में फेंक दिया था। पड़ोसी के छोटे भाई शिवनाथ के साथ आरोपी की पत्नी भाग गई थी। जिससे बदला लेने उसने तीनों बच्चों मार डाला था। 5 मई 2013 को जिला न्यायालय से आरोपी मनोज को फांसी की सजा सुनाई गई थी। 8 अगस्त 2013 को हाईकोर्ट ने सजा बरकरार रखी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।

Updated on:
14 Aug 2024 07:50 am
Published on:
14 Aug 2024 07:46 am
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