Bilaspur News: निगम के 70 में से 49 सीटें बीजेपी, 18 सीटें कांग्रेस और 3 सीटें निर्दलीय के खाते में गई हैं। इस बार महापौर सहित 29 सीटों पर महिला पार्षद चुनकर आई हैं। इनमें बीजेपी की 20 महिला पार्षद हैं।
CG News: बिलासपुर शहर सरकार के गठन में देरी होती दिख रही है। चुनाव परिणाम घोषित हुए 9 दिन हो चुके हैं, लेकिन अब तक न तो महापौर और पार्षदों के शपथ ग्रहण की तारीख तय हो पाई है और न ही स्थान का चयन किया गया है। इस बीच, आज 24 फरवरी से छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो गया है, जिससे बिलासपुर के विधायक अमर अग्रवाल सहित अन्य मंत्री व विधायक व्यस्त हो गए है। इस वजह से शपथ ग्रहण समारोह में और देरी होने की संभावना जताई जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक, नगर निगम के शपथ ग्रहण समारोह की तारीख का ऐलान महाशिवरात्रि के बाद होने की संभावना है। बीजेपी के अंदरूनी हलकों में यह चर्चा जोरों पर है कि विधायक अमर अग्रवाल के मंत्री बनने की संभावनाओं को लेकर चल रही गतिविधियों के कारण शपथ ग्रहण देर से हो सकता है।
वहीं, सभापति पद को लेकर भी मंथन जारी है। अगर 2019 की बात करें तो कांग्रेस ने चुनाव परिणाम के 11 दिन के भीतर रामशरण यादव को मेयर और शेख नजीरुद्दीन को सभापति का शपथ ग्रहण 4 जनवरी को संपन्न कराया था। ऐसे में इस बार बीजेपी, कांग्रेस से भी ज्यादा देरी कर सकती है, जिससे शहर के विकास कार्यों की गति प्रभावित होने की आशंका है।
नगर निगम बिलासपुर में 70 में से 49 वार्डों में बीजेपी ने जीत दर्ज की है। विधायक अमर अग्रवाल ने इस चुनाव का नेतृत्व किया था। ऐसे में महापौर सहित 49 पार्षदों की बड़ी जीत के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि सभापति कौन बनेगा और कौन-कौन पार्षद एमआईसी में शामिल रहेंगे। लेकिन इस चर्चा से ज्यादा यह सवाल उठ रहा है कि क्या विधायक अमर अग्रवाल मंत्री मंडल में जगह बना पाएंगे या नहीं। इधर, विधानसभा सत्र में शामिल होने के लिए विधायक अमर अग्रवाल रायपुर चले गए हैं, जिसके चलते शपथ ग्रहण की तारीख का ऐलान भी अटक गया है।
निगम के 70 में से 49 सीटें बीजेपी, 18 सीटें कांग्रेस और 3 सीटें निर्दलीय के खाते में गई हैं। इस बार महापौर सहित 29 सीटों पर महिला पार्षद चुनकर आई हैं। इनमें बीजेपी की 20 महिला पार्षद हैं। इसी कारण महिला सभापति बनाए जाने की चर्चा भी जोरों पर है। इससे पहले उमाशंकर जायसवाल के कार्यकाल में, वर्ष 2000 में, महिला पार्षद आर. विभा राव ने सभापति की जिम्मेदारी संभाली थी। उन्होंने अपने कार्यकाल में निगम का सदन बेहतरीन तरीके से चलाया था। अब 24 साल बाद एक बार फिर निगम में सभापति की बागडोर किसी महिला के हाथों में आने की चर्चा तेज हो गई है।