अमेरिका में जहां Amazon Prime को डिलीवरी में दो दिन लगते हैं, वहीं भारत में सिर्फ 10-15 मिनट में डिलीवरी होती है। एक अमेरिकी CEO का यह अनुभव भारत की तेजी से बढ़ती कंज्यूमर इकोनॉमी और लॉजिस्टिक्स क्रांति को दर्शाता है।
Blinkit और Zepto जैसे क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स की 10 मिनट डिलीवरी को लेकर भारत में भले ही विवाद हो, कोई इसे अच्छा तो कोई इसे खराब बता रहा हो, लेकिन अमेरिका में रहने वाली भारतीय मूल की एक CEO भारत की अपनी यात्रा के दौरान यहां की क्विक कॉमर्स स्पीड को देखकर हैरान हो गई. भारतीय मूल की वरुणी सरवाल जो कि TriFetch की CEO हैं, तीन हफ्तों के लिए भारत के दौरे पर आईं थीं, उन्होंने देखा कि क्विक कॉमर्स कंपनियां 10 मिनट में होम डिलीवरी कर रही हैं, जबकि अमेरिका में Amazon Prime दो दिन में सामानों की डिलीवरी करता है.
वरुणी सरवाल ने LinkedIn पर एक पोस्ट लिखा, जिसमें उन्होंने भारत की 10-मिनट डिलीवरी संस्कृति की तुलना अमेरिका से की और कहा कि Amazon Prime की दो-दिन वाली डिलीवरी इसके सामने “प्राचीन काल की लगती है” लगती है. वो इस बात से हैरान होते हुए लिखती हैं कि जहां अमेरिका अब भी सोचता है कि वह इनोवेशन में आगे है, वहीं भारत की B2C लॉजिस्टिक्स “पहले ही 2030 में जी रही है।”
उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, “सैन फ्रांसिस्को में सेल्फ-ड्राइविंग कारें हैं। भारत में हर चीज 10 मिनट में मिल जाती है। मुझे नहीं पता इनमें से कौन ज्यादा प्रभावशाली है।”. इसके बाद उन्होंने अपनी रांची के दौरे की एक कहानी का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने बताया, जहां वह और उनकी सहयोगी रोज़मेरी एक दोस्त की शादी में शामिल होने गई थीं।
अपनी पोस्ट में सरवाल ने बताया कि हल्दी सेरेमनी वाले दिन उन्हें और उनकी दोस्त को जब ये अहसास हुआ कि उनके पास उस दिन पहनने के लिए कोई ड्रेस ही नहीं है. अमेरिका में अगर ऐसी स्थिति होती तो तुरंत ही मॉल भागना पड़ता या फिर Amazon से ऑर्डर करने पर दो दिन बाद की डिलीवरी का इंतजार करना पड़ता। लेकिन रांची जो कि एक टियर-2 शहर है, यहां पर अनुभव बिल्कुल अलग था.
सरवाल अपनी पोस्ट में लिखती हैं कि उन्होंने होटल में बैठकर Blinkit ऐप खोला और 15 मिनट के अंदर डिलीवरी राइडर दो ट्रेडिशनल आउटफिट लेकर उनके घर कमरे तक पहुंच गया। इस बात से सरवाल बहुत ज्यादा प्रभावित हुईं। उन्होंने कहा, “भारतीय कंज्यूमर मार्केट की गहराई दिमाग हिला देती है। रांची जैसे शहर में भी इतनी तेज़ और बिना रुकावट वाली B2C लॉजिस्टिक्स काम करती है, ये साबित करता है कि ‘इंडिया ऑपर्च्युनिटी’ सिर्फ टॉप 1% तक सीमित नहीं है।”
हालांकि जो आउटफिट उन्होंने मंगवाए थे, वो जल्दबाजी में उन्होंने गलत ऑर्डर कर दिए. वो इस बात को मज़ाक के लहजे में लिखती हैं “अगर आप फोटो को ज़ूम करेंगे तो देखेंगे कि रोज़मेरी ने पुरुषों का कुर्ता पहना है और मैंने पुरुषों की लुंगी पहन ली है, लेकिन कोई बात नहीं… हमने अपना काम चला लिया!”
अब सोशल मीडिया पर लोगों ने क्विक डिलीवरी के अच्छे और खराब पहलुओं को लेकर कई टिप्पणियां की. एक यूज़र ने लिखा, “सच कहूं तो B2C लॉजिस्टिक्स इसलिए चल रही है क्योंकि लेबर बेहद सस्ती है और ड्राइवर्स और वेंडर्स को बहुत की सख्त उम्मीदों पर खरा उतरना पड़ता है।”
एक दूसरे यूज़र ने कमेंट किया, “15 मिनट की डिलीवरी का मतलब होता है, नो रिटर्न का वादा, और गलत या डैमेज्ड सामान आने पर भी बेहद खराब कस्टमर सर्विस। इतनी सस्ती लेबर जहां इंसानी जिंदगी की कोई कीमत नहीं, ये B2C लॉजिस्टिक्स इनोवेशन नहीं है।”