साल 2025 में निवेशकों के लिए मेटल सेक्टर सबसे बड़ा सितारा बनकर उभरा है। निफ्टी मेटल इंडेक्स ने 27% तक की छलांग लगाते हुए नया रिकॉर्ड बनाया है।
साल 2025 में मेटल शेयरों ने निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न दिया है। सोमवार को Nifty Metal Index ने इंट्रा-डे ट्रेड में 10,983.20 का नया रिकॉर्ड बनाया और अपने पिछले ऑल-टाइम हाई को पार कर लिया। पूरे कैलेंडर ईयर 2025 में निफ्टी मेटल इंडेक्स करीब 26% से 27% चढ़ चुका है, जबकि इसी अवधि में Nifty 50 की बढ़त करीब 10% के आसपास रही। इससे साफ है कि मेटल सेक्टर ने व्यापक बाजार से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है।
सोमवार के कारोबार में मेटल शेयरों में व्यापक तेजी देखने को मिली। Hindustan Copper इंट्रा-डे में करीब 15% उछलकर 545.95 रुपये तक पहुंच गया, जो इसका नया 52-सप्ताह का उच्च स्तर है। इसके अलावा SAIL, Vedanta, Tata Steel, Hindustan Zinc, Jindal Steel & Power, Hindalco और Lloyds Metals जैसे दिग्गज शेयरों में 1% से 4% तक की मजबूती दर्ज की गई। नॉन-फेरस और फेरस दोनों सेगमेंट में खरीदारी ने इस सूचकांक को नई ऊंचाई तक पहुंचाया है।
ब्रोकरेज फर्म ICICI Securities ने Vedanta और Tata Steel जैसे शेयरों पर सकारात्मक रुख बरकरार रखा है। वेदांता को फायदा इसलिए मिल रहा है क्योंकि तांबा, एल्यूमिनियम और जिंक जैसी धातुओं के दाम अच्छे चल रहे हैं। कंपनी एल्यूमिनियम और जिंक के कारोबार को आगे बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है और साथ ही निवेशकों को अच्छा डिविडेंड भी देती है। यही वजह है कि ब्रोकरेज फर्म वेदांता को मजबूत मान रही हैं।
वहीं, टाटा स्टील को लेकर ब्रोकरेज का कहना है कि भारत में नए प्लांट और उत्पादन बढ़ाने से कंपनी को लंबे समय में फायदा होगा, हालांकि फिलहाल इन योजनाओं पर ज्यादा खर्च होने से दबाव रह सकता है। इसके अलावा, नॉन-फेरस धातुओं की कीमतें ऊंची रहने से हिंदाल्को और वेदांता की हालिया कमाई भी बेहतर हुई है।
विशेषज्ञों के मुताबिक मेटल शेयरों की इस रैली के पीछे कोई एक वजह नहीं है, बल्कि कई वैश्विक और घरेलू कारण हैं। अमेरिका में फेडरल रिजर्व की संभावित ब्याज दर कटौती, कमजोर होता डॉलर मेटल को डिमांड को सपोर्ट कर रहा है। चीन में इंफ्रास्ट्रक्चर, पावर ग्रिड व रिन्यूएबल एनर्जी पर बढ़ते सरकारी खर्च से मेटल की मांग बढ़ रही है। इसके अलावा कॉपर, एल्यूमिनियम और सिल्वर जैसी धातुओं में सप्लाई की कमी, इलैक्ट्रिक व्हीकल से जुड़ी मजबूत मांग और नई खदानों में निवेश की कमी ने कीमतों को ऊपर चढ़ाया है।