Adani SEBI clean chit controversy: सेबी ने अडानी समूह को आरोप से बरी कर दिया है, जिसके बाद राजनीतिक विवाद तेज हो गया है। महुआ मोइत्रा की आलोचना पर अडानी के CFO ने तंज कसा, जिससे सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है।
Adani SEBI clean chit controversy: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने हाल ही में अडानी समूह और उसके शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ लगे आरोपों को खारिज करते हुए क्लीन चिट (Adani SEBI clean chit controversy) दे दी है। इस फैसले के कुछ ही समय बाद अडानी ग्रुप के मुख्य वित्तीय अधिकारी जुगेशिंदर "रॉबी" सिंह ने तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) पर तंज कसा, जिससे राजनीतिक बयानबाजी फिर से तेज हो गई। सेबी ने दो बड़े आदेशों के जरिए अडानी समूह की प्रमुख कंपनियों 'अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पावर, अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड, और एडिकॉर्प एंटरप्राइजेज'को हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की ओर से लगाए गए गंभीर आरोपों से मुक्त कर दिया। इसके साथ ही सेबी ने गौतम अडानी, राजेश अडानी और स्वयं सिंह के खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की। यह कदम अडानी समूह के लिए एक बड़ी राहत माना जा रहा है।
सेबी के इस फैसले के बाद तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “वाह! सेबी ने अडानी को सभी आरोपों से बरी कर दिया? सच में? मैं तो उम्मीद भी नहीं कर रही थी।” यह पोस्ट साफ तौर पर सेबी के फैसले पर उनकी असहमति और निराशा दर्शाता है।
महुआ मोइत्रा की प्रतिक्रिया के बाद अडानी ग्रुप के सीएफओ जुगेशिंदर सिंह ने भी पलटवार किया। उन्होंने एक व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए कहा, “माननीय सांसद जी, आपको दुर्गा पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं।” यह टिप्पणी दुर्गा पूजा के आसपास की गई और इसे सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग के रूप में देखा गया। इस जवाब ने राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया।
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने पहले अडानी समूह पर कई गंभीर आरोप लगाए थे, जिनमें वित्तीय अनियमितताएं और शेयर बाजार को प्रभावित करने वाली गतिविधियां शामिल थीं। हालांकि, सेबी ने अपनी जांच पूरी कर इन आरोपों को निराधार करार दिया। लेकिन राजनीतिक दल इस फैसले पर विवाद करते रहे हैं। खासकर विपक्षी पार्टियां इसे राजनीतिक साजिश बता रही हैं, जबकि अडानी समूह इसे अपनी छवि सुधारने का मौका मान रहा है।
उधर कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा है कि एक झूठा नैरेटिव सेट किया जा रहा है- जैसे अडानी सभी आरोपों से बरी हो गए हों। उन्होंने टवीट कर कहा,लेकिन सच ये है- अडानी को सिर्फ दो मामलों में राहत मिली है। अभी 22 मामले लंबित हैं, जिनमें वो गंभीर आरोपों से घिरे हुए हैं। सवे कहती हैं, इस झूठे नैरेटिव का पूरा सच सुनिए :
सेबी के फैसले ने अडानी समूह को बड़ा सुकून दिया है, लेकिन राजनीतिक बयानबाजी और सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग अभी भी जारी है। विपक्षी दल इस मुद्दे को आगामी चुनावों में उपयोग करने की कोशिश कर सकते हैं। वहीं, अडानी ग्रुप अपनी कंपनियों की प्रतिष्ठा को बहाल करने में जुटा है। इस विवाद ने यह भी साफ कर दिया है कि भारत में बड़े कॉर्पोरेट समूहों और नियामक संस्थाओं के बीच संबंध राजनीतिक प्रभाव से पूरी तरह मुक्त नहीं हैं।
बहरहाल सेबी की क्लीन चिट से अडानी समूह ने एक बड़ी बाधा पार की है, लेकिन राजनीतिक माहौल अभी भी गर्म है। सीएफओ की ओर से महुआ मोइत्रा को ट्रोल करना इस बहस को और भी तीखा बना गया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले का असर भारतीय राजनीति और व्यापार पर किस तरह पड़ता है।