Cabinet Decisions: केंद्रीय कैबिनेट ने शिपबिल्डिंग फाइनेंशियल असिस्टेंस स्कीम को 31 मार्च 2036 तक बढ़ा दिया गया है। इसके लिए 24,736 करोड़ रुपये का फंड तय किया गया है।
पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में आज शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री के लिए 69,725 करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी गई है। इस पैकेज से डोमेस्टिक कैपेसिटी, फाइनेंसिंग, शिपयार्ड डेवलपमेंट, टेक्निकल स्किल्स और पॉलिसी रिफॉर्म्स पर काम होगा। सरकार ने एक प्रेस रिलीज में कहा, 'इस पैकेज का उद्देश्य डोमेस्टिक कैपेसिटी मजबूत करने, लॉन्ग टर्म फाइनेंसिंग इंप्रूव करने, ग्रीनफील्ड को प्रमोट करने, ब्राउनफील्ड शिपयार्ड डेवलपमेंट को बढ़ावा देने, तकनीकी क्षमताओं-स्किलिंग को सशक्त करने और लीगल, टैक्सेशन व पॉलिसी रिफॉर्म्स को लागू करके एक मजबूत समुद्री इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना है।'
शिपबिल्डिंग फाइनेंशियल असिस्टेंस स्कीम (SBFAS) को 31 मार्च 2036 तक बढ़ा दिया गया है, जिसके लिए कुल 24,736 करोड़ रुपये का फंड तय किया गया है। इस योजना का उद्देश्य भारत में शिपबिल्डिंग को प्रोत्साहन देना है। इसके अलावा, सभी संबंधित पहलों को संचालित करने के लिए एक राष्ट्रीय शिपबिल्डिंग मिशन की स्थापना की जाएगी।
कैबिनेट ने एक मैरीटाइम डेवलपमेंट फंड (MDF) को मंजूरी दी है, जिसमें 25,000 करोड़ रुपये का फंड होगा। इसका उद्देश्य इस सेक्टर में लॉन्ग टर्म फाइनेंसिंग को सपोर्ट करना है। इसमें 20,000 करोड़ रुपये का मैरीटाइम इन्वेस्टमेंट फंड होगा, जिसमें सरकार की 49% हिस्सेदारी होगी। वहीं, 5,000 करोड़ रुपये का इंटरेस्ट इंसेंटिवाइजेशन फंड होगा, जिसका मकसद कर्ज की लागत को कम करना और परियोजनाओं की वित्तीय व्यवहार्यता को बेहतर बनाना है।
कैबिनेट ने एक शिपबिल्डिंग डेवलपमेंट स्कीम को भी मंजूरी दी है, जिसका बजट 19,989 करोड़ रुपये है। इसका लक्ष्य घरेलू शिपबिल्डिंग क्षमता को प्रति वर्ष 4.5 मिलियन ग्रॉस टन तक बढ़ाना है। इसके तहत मेगा शिपबिल्डिंग क्लस्टर विकसित करना, इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करना, भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय के तहत इंडिया शिप टेक्नोलॉजी सेंटर की स्थापना करना और शिपबिल्डिंग प्रोजेक्ट्स के लिए रिस्क कवरेज (जिसमें बीमा सपोर्ट भी शामिल है) उपलब्ध कराना शामिल है।
सरकार ने कहा कि प्रस्तावित पैकेज से 4.5 मिलियन ग्रॉस टनेज की शिपबिल्डिंग क्षमता विकसित हो सकती है, लगभग 30 लाख नौकरियां पैदा होंगी और भारत के समुद्री उद्योग में करीब 4.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश आकर्षित किए जा सकते हैं। आर्थिक प्रभाव के अलावा, यह पैकेज ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा को भी मजबूत करेगा, क्योंकि इससे महत्वपूर्ण सप्लाई चेन और समुद्री मार्गों में मजबूती आएगी।