
ज्यादातर विषेशज्ञों का अनुमान है कि सरकार ब्याज दरों को स्थिर बनाए रख सकती है। (PC: Pexels)
नए साल से ठीक पहले पोस्ट ऑफिस की लोकप्रिय बचत योजनाओं में निवेश करने वालों की नजरें एक अहम बैठक पर टिकी हैं। वित्त मंत्रालय 31 दिसंबर 2025 को छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों की तिमाही समीक्षा करने वाला है। इस बैठक में जो भी फैसला होगा, वह जनवरी से मार्च 2026 की तिमाही के लिए लागू किया जाएगा। फिलहाल पोस्ट ऑफिस की सबसे ज्यादा ब्याज देने वाली योजनाओं में वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS) और सुकन्या समृद्धि योजना (SSA) शामिल हैं, जिन पर 8.2% सालाना ब्याज मिल रहा है। वहीं, आम निवेशकों में सबसे लोकप्रिय पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) पर अभी 7.1% ब्याज दिया जा रहा है।
2025 में रिजर्व बैंक ने कुल 1.25% की रेपो रेट कटौती की है। इसके बाद बैंकों की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर ब्याज दरों में गिरावट देखने को मिली है। इसका मुख्य कारण महंगाई दर का कम स्तर पर बने रहना है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या पोस्ट ऑफिस की छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में भी कटौती की जा सकती है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार विशेषज्ञों का मानना है कि छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें सीधे तौर पर 10 साल की सरकारी बॉन्ड (G-Sec) की यील्ड से जुड़ी होती हैं।
रिपोर्ट के अनुसार विशेषज्ञ बताते हैं कि पोस्ट ऑफिस की ब्याज दरें तय करने में श्यामला गोपीनाथ समिति की सिफारिशों को आधार माना जाता है। इस फॉर्मूले के अनुसार, किसी भी योजना की ब्याज दर, समान अवधि की सरकारी बॉन्ड यील्ड से करीब 25 बेसिस प्वाइंट ज्यादा होनी चाहिए। सितंबर से दिसंबर 2025 के बीच 10 साल की सरकारी बॉन्ड की औसत यील्ड करीब 6.54% रही है। यदि इस पर 0.25% जोड़ा जाए, तो PPF की ब्याज दर लगभग 6.79% बनती है, जबकि मौजूदा दर 7.1% है। इस गणना के आधार पर देखा जाए तो ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश दिखती है। लेकिन यह फॉर्मूला सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, सरकार अक्सर इस गणितीय फॉर्मूले से आगे जाकर फैसला करती है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि करोड़ों लोग, खासतौर पर पेंशनभोगी, वरिष्ठ नागरिक और मध्यम वर्ग अपनी नियमित आय के लिए इन योजनाओं पर निर्भर हैं। अगर ब्याज दरों में कटौती की जाती है, तो इन लोगों की आमदनी पर सीधा असर पड़ेगा। यही कारण है कि सरकार कई बार फॉर्मूले के बावजूद दरों को स्थिर बनाए रखती है।
ईटी के अनुसार ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार भी ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम है। उनका कहना है कि मौजूदा आर्थिक हालात में सरकार बचत को प्रोत्साहित करना चाहती है, न कि निवेशकों को जोखिम भरे विकल्पों की ओर धकेलना। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि अगर सरकार बैंकों की जमा दरों को और नीचे लाने या अपनी उधारी लागत घटाने की कोशिश करती है, तो सीमित कटौती की संभावना बन सकती है। लेकिन कुल मिलाकर संकेत यही हैं कि सरकार ब्याज दरों में स्थिरता को प्राथमिकता दे सकती है।
Published on:
30 Dec 2025 05:05 pm
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